స్తోత్రరత్నం – అవతారిక

శ్రీ:  శ్రీమతే శఠకోపాయ నమః  శ్రీమతే రామానుజాయ నమః  శ్రీమద్వరవరమునయే నమః స్తోత్రరత్నం నథమునులు, ఆళవందార్లు – కాట్టు మన్నార్ కోయిల్ తిరువాయ్మొళి 1.1.1 వ పాశురములో “మయర్వఱ మది నలం అరుళినన్” (భగవానుడి నిర్మలమైన జ్ఞాన భక్తులకు అనుగ్రహపాత్రులైన నమ్మాళ్వార్లు) అని వర్ణించినట్లు సర్వేశ్వరుడైన పరమాత్మ తమ నిర్హేతుక కృపతో తన రూప గుణ స్వరూపాలను, ఐశ్వర్యాదులను వెల్లడి చేశారు. ఆ జ్ఞానమే భక్తి రూప ఆపన్న జ్ఞానము (జ్ఞానము పరిపక్వమై భక్తిగా మారుట) గా … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 61 से 65 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 51 -60 श्लोक 61 – एम्पेरुमान् पूछते हैं, “क्या तुम ने एक महान परिवार में जन्म नहीं लिए हो? एक असहाय व्यक्ति के जैसे क्यों बात कर रहे हो ?” आळवन्दार् उत्तर देते हैं, “मैं एक महान परिवार में पैदा होकर भी मेरे … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 51 से 60 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 41 -50 श्लोक 51 – आळवन्दार् कहते हैं “दयालु और दया पात्र के बीच का यह संबंध, आपकी ही दया से स्थापित किया गया था प्रभो, ऐसे होने के नाते, आपको ही, परित्याग किये बिना, मेरी रक्षा करना चाहिए” | तदहं त्वदृते न … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 41 से 50 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 31 – 40 श्लोक 41 – इस श्लोक में स्वामी आळवन्दार् एम्पेरुमान् और पेरिय तिरुवडी (गरुडाऴ्वार्) की समक्षता का आनंद ले रहें हैं; गरुडाऴ्वार् जो कई प्रकार के कैंङ्कर्य में लगे रहते हैं जैसे भगवान् का ध्वज इत्यादि और जो एक परिपक्व फल … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 31 से 40 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 21 -30 श्लोक 31 – इस श्लोक में श्री आळवन्दार् कहते हैं , ” आपके चरण कमलों को सिर्फ देखना ही पर्याप्त नहीं है , मेरे सिर पर आपके चरणों को रखके मेरे सिर को सुशोभित करना चाहिए ” जैसे तिरुवाइमोळि ९.२.२ में … Read more

Glossary/Dictionary by word – sthOthra rathnam

Sorted by SlOkam SlOkam Word Meaning sthothra-rathnam-25   abhUtha pUrvam   previously not occurred sthothra-rathnam-19   abjabhuva: upari upari api   more and more for brahmAs sthothra-rathnam-65   achinthayithvA   without considering sthothra-rathnam-1   achinthya   incomprehensible sthothra-rathnam-45   achinthya dhivya adhbhutha nithya yauvana svabhAva lAvaNya maya amrutha udhadhim   one who is having inconceivable, spiritual/divine, amazing, eternal youth naturally, and being an ocean of … Read more

Glossary/Dictionary by SlOkam – sthOthra rathnam

Sorted by word SlOkam Word Meaning sthothra-rathnam-1 achinthya incomprehensible sthothra-rathnam-1 adhbhutha amazing sthothra-rathnam-1 aklishta easily attained (by the grace of bhagavAn) sthothra-rathnam-1 gyAna of the knowledge sthothra-rathnam-1 vairAgya of the detachment sthothra-rathnam-1 rASayE like a collection sthothra-rathnam-1 munayE one who meditates upon bhagavAn sthothra-rathnam-1 agAdha bhagavadhbhakthi sindhavavE ocean of deep devotion towards bhagavAn sthothra-rathnam-1 nAthAya … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 21 से 30- सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 11 -20 श्लोक 21 – श्री आळवन्दार् स्वामीजी, भगवान, जो कि हमारे शरण हैं, उनकी महानता का ध्यान करते हैं। जैसा की समझाया गया है – पहले लक्ष्य की प्रकृति की व्याख्या करने के बाद, यहां उस लक्ष्य का प्राप्त करने वाले … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 11 – 20 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 1 – 10 श्लोक 11 – इस पासूर में परत्व लक्षण (सर्वोच्चता की पहचान) की व्याख्या की गई है। स्वाभाविकानवधिकातिषयेशितृत्वमनारायण त्वयि न मृष्यति वैदिक: क: | ब्रह्मा शिवश्शतमख परम: स्वराडितिएते’पि यस्य महिमार्णवविप्रुशस्थे || हे नारायण! ब्रह्मा, शिव, इंद्र और मुक्तात्मा, जो कर्म से … Read more

स्तोत्र रत्नम – श्लोक 1 – 10 – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला <<तनियन् श्लोक 1 – इस प्रथम श्लोक में श्री आळवन्दार् स्वामीजी, श्रीनाथमुनी स्वामीजी के ज्ञान और वैराग्य रूपी यथार्थ संपत्ति का वंदन करते है।   नमो’चिंत्याद्भुधाक्लिष्ट ज्ञान वैराग्यराश्ये |नाथाय मुनये’गाधभगवद् भक्तिसिंधवे || मैं श्रीनाथमुनि स्वामीजी को नमस्कार करता हूं, जो बुद्धि से परे अद्भुत ज्ञान … Read more