उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ६२ – ६३
। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ६०-६१ पासुरम् ६२ बासठवां पासुर। वह दमापूर्वक बताते हैं कि कोई आसानी से परमपद कैसे प्राप्त कर सकता है। उय्य निनैवु उण्डागिल् उम् गुरुक्कळ् तम् पदत्ते वय्युम् अन्बु तन्नै इन्द मानिलत्तीर् – मॆय् उरैक्केन् पय्यरविल् मायन् परमपदम् उङ्गळुक्काम् कै इलङ्गु नॆल्लिक्कनि हे … Read more