साट्रुमुरै (सात्तुमुरै ) – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम:

सर्व देश दशा कालेष्वव्याहत पराक्रमा | रामानुजार्य दिव्याज्ञा वर्धताम अभिवर्धताम ||

श्री भगवद रामानुज स्वामीजी के दिव्य आदेशों (विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त और श्रीवैष्णव संप्रदाय के सिद्धान्त) का उत्तम रूप में बिना किसी बाधा के सभी स्थानों और सभी समय में उन्नति हो। उनकी उन्नति हो। 

रामानुजार्य दिव्याज्ञा प्रतिवासरमुज्वला | दिगंतव्यापीनी भूयात साहि लोक हितैषिणी ||

श्री भगवद रामानुज स्वामीजी के दिव्य आदेशों की प्रतिदिन अनेकानेक बार उज्ज्वल उन्नति हो। इन आदेशों का सभी दिशाओं में विस्तार हो और वे लोक हितैषिणी हो।

श्रीमन ! श्रीरंग श्रीयम अनुपदरवाम अनुदिनम संवर्धय |
श्रीमन! श्रीरंग श्रीयम अनुपदरवाम अनुदिनम संवर्धय ||

श्रीरंगश्री का प्रतिदिन बिना बाधा के अनेकानेक मंगल/उन्नति हो। श्रीरंगश्री का प्रतिदिन बिना बाधा के अनेकानेक मंगल हो।

नमः श्रीशैलनाथाय कुंती नगर जन्मने | प्रसाधलब्ध परम प्राप्य कैंकर्य शालिने||

श्रीशैलनाथ स्वामीजी को मेरा प्रणाम जिनका जन्म कुंती नगर में हुआ, और जिन्हें चरम कैंकर्य की प्राप्ति हुई (आचार्य कृपा से).

श्रीशैलेश दायपात्रम धीभक्त्यादि गुणार्णवम
यतीन्द्र प्रवणम वंदे रम्य जामातरम मुनीम

मैं श्रीवरवरमुनि स्वामीजी की वंदना करता हूँ, जो श्रीशैलनाथ स्वामीजी के कृपा पात्र है, जो अनंत कल्याण गुण जैसे ज्ञान, श्रद्धा, आदि के अपार सागर है और जो श्रीरामानुज स्वामीजी (यतीन्द्र) के अत्यंत अनुरक्त हैI

[रम्य जामातृ योगीन्द्र पादरेखा मयम सदा
तथा यत्तात्म
सत्तादिम रामानुज मुनीम भजे

– श्री वानमामलै मट अनुसन्धानं]

मैं श्रीवानमामलै जीयर की वंदना करता हूँ, जो श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के चरण कमलों के चिन्ह स्वरूप है और जो अपने सच्चे स्वरूप (श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के दास होने का), अपने उपजीवन, कार्यों आदि को स्थापित करने के लिए पूर्ण रूप से श्रीवरवरमुनि स्वामीजी की कृपा पर आश्रित है|

वाळितिरुवायमोलि पिळ्ळै मादगवाल
वाळुम मणावाळ
मामुनिवन वाळियवन
मारन तिरुवायमोळि
प्पोरुळै मानिलत्तोर

तेरुम्पडि उरैक्कुम् सीर्

श्री शैलनाथ स्वामीजी की अत्यंत कृपा के पात्र श्रीवरवरमुनि स्वामीजी को लंबी आयु की प्राप्ति हो! श्रीवरवरमुनि स्वामीजी द्वारा अत्यंत सुंदरता से समझाये- श्रीशठकोप स्वामीजी के तिरुवायमौली के दिव्य अर्थों को लंबी आयु की प्राप्ति हो जिस से इस विशाल संसार के निवासी उसे समझ सके और उनका कल्याण हो!

सेय्य तामरैत्तळिणै वाळिये
सेलै वालि तिरुनाबि वाळिये
तुय्य मार्बुम पुरीनूलुम वाळिये
सुन्दरत्तिरुत्तोलिणै
वाळिये
कैयुमेन्दिय मुक्कोलुम वाळिये
करुणै पोंगीय कण्णिणै वाळिये
पोय्यिल्लात मणवाल मामुनि
पुन्दि वाळि
पुगळ वाळि वाळिये

श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के कमल के समान लालिमा लिए दिव्य चरणों को लंबी आयु की प्राप्ति हो! उनके पहने हुए केसरिया वस्त्र और उनकी दिव्य नाभि को लंबी आयु की प्राप्ति हो! उनके पवित्र दिव्य वक्ष-स्थल और अक्षय सूत्र को लंबी आयु की प्राप्ति हो! उनके दिव्य कंधों को लंबी आयु की प्राप्ति हो! उनके दिव्य कर कमलों में धारण किए हुए त्रिदण्ड को लंबी आयु की प्राप्ति हो! कृपा प्रसार करने वाले उनके दिव्य नेत्रों को लंबी आयु की प्राप्ति हो! श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के परम ज्ञान, जो सदैव कृत्रिमता से परे है, को लंबी आयु की प्राप्ति हो!

अडियार्गळ वाळअरंग नगर वाळ
सडगोपन तण्तमि नूल वाळकडल सूलन्द
मन्नूलगम वाळ मणवाळ मामुनिये
इन्नुमोरु नूट्रान्डिरुम

श्री भगवान के भक्तों और भागवतों को लंबी आयु की प्राप्ति हो! श्रीरंगम के महान स्थान को लंबी आयु की प्राप्ति हो! श्रीशठकोप स्वामीजी के दिव्य प्रबंधन को लंबी आयु की प्राप्ति हो! इस संसार को लंबी आयु की प्राप्ति हो जो विशाल महासागरों से घिरा हुआ है! हे श्रीवरवरमुनि स्वामीजी! आपकी कृपा सदा हम दासों पर बनी रहे और हमें अनुग्रहित करे।

Source: http://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2020/07/sarrumurai-simple/

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1 thought on “साट्रुमुरै (सात्तुमुरै ) – सरल व्याख्या”

  1. बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया गया है । आभार आपका।
    सादर साष्टांग प्रणाम

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