सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग १

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग २ अवतारिका(परिचय) जैसे कि हरीत स्मृति ८-१४१ में कहा गया है “प्राप्यस्य ब्रह्मनो रूपम् प्राप्तुश्च प्रत्यगात्मन:। प्राप्त्युपायम् पलम् प्राप्तेस्तथा प्राप्ति विरोधी च। वदन्ति सकला वेदा:सेतिहास पुराणका:। मुनयश्च महात्मानो वेद वेदार्थ वेदिन:।।” (इतिहास और पुराण … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर २३ – २४

।। श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः ।। उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २१ – २२ पासुरम् २३ तेईसवां पासुरम्। वे अपने हृदय को बताते हैं कि तिरुवाडिप्पूरम् (आडि महीने का दिव्य नक्षत्र पूरम्) की क्या महानता है, जो आण्डाळ् के अवतार का दिन है और इसलिए अतुल्य है।  पॆरियाऴ्वार् पॆण् पिळ्ळैयाय् आण्डाळ् … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<अवतारिका (परिचय) – भाग १ पहले भाग से आगे बढ़ते हुए अपनी अपार करुणा से, विळान्जोलैप् पिळ्ळै ने अपने अलौकिक हृदय में नम्माळ्वार के तिरुवाय्मोळि का सार है और परम रहस्य विषय-  श्रीवचन भूषण दिव्य शास्त्र के गूढ़ अर्थों की भिन्न रुप में … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग १

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला << तनियन (मंगलाचरण) विळान्जोलैप्पिळ्ळै ने पिळ्ळै लोकाचार्य की शरण ली, जो सम्पूर्ण भूलोक के एकमात्र पालनकर्ता माने जाने वाले श्री रंङ्गनाथ के निर्वाहक हैं- जिस प्रकार श्री भगवत गीता ७.१८ में दिव्य शब्दों में वर्णित किया गया है “ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्” (यह … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – तनियन (मंगलाचरण)

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: शृंखला वाऴि नलम् तिगऴ् नारणतादन् अरुळ्वाऴि अवन् अमुद वाय् मोऴिगळ् – वाऴियवेएऱु तिरुवुडैयान् एन्दै उलगारियन् सोल्तेऱु तिरुवुडैयान् सीर्। श्रेष्ठ नारायण तादर (विळाञ्जोलैप्पिळ्ळै) की कृपा सदा बनी रहे! उनकी अमृतमय वाणी अमर रहे! उनकी वह गुण सदा अमर रहें, जिससे उनके पास हमारे स्वामी, पिळ्ळै लोकाचार्य की … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर २१ – २२

।। श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः ।। उपदेश रत्तिनमालै <<पासुरम् १९-२० पासुरम् २१ इक्कीसवां पासुर। आऴ्वारों की संख्या दस है। इनकी संख्या बारह भी मानी जाती है। यदि कोई उन आऴ्वारों को देखें जो केवल भगवान में संलग्न थे, तो उनकी संख्या दस है। हमने उपयुक्त पासुरों में देखा कि … Read more

नाच्चियार तिरुमोऴि – सरल व्याख्या​ – पहला तिरुमोऴि – तैयोरु तिङ्गळ्

श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि << तनियन् आण्डाळ् ने तिरुप्पावै में  एम्पेरुमान् को उपाय माना और घोषित किया कि जो भगवान् के प्रति निःस्वार्थ कैंङ्कर्य ही उपेय है। यदि सदा यह विचार स्मरण में रहे तो एम्पेरुमान् स्वयं उसका फल देता है। परंतु एम्पेरुमान् तो न आण्डाळ् के समीप आया, न … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर १९ – २०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर १६ – १८ पासुर १९ उन्नीसवां पासुर। मामुनिगळ् सभी आऴ्वारों के अरुळिच्चेयल् (सभी दिव्य स्तोत्रों का संग्रह) में से तिरुप्पल्लाण्डु की महानता को उदाहरण सहित समझाते हैं। कोदिलवाम् आऴ्वार्गळ् कूऱु कलैक्कॆल्लाम्आदि तिरुप्पल्लाण्डु आनदवुम् – वेदत्तुक्कुओम् ऎन्नुम् अदु पोल् उळ्ळदुक्कु ऎल्लाम् … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै)

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: आर् वचनबूडनत्तिन् आऴ् पोरुळ् एल्लाम् अऱिवाऱ्*आरदु सोल् नेरिल् अनुट्टिप्पार् – ओर् ओरुवर्उण्डागिल्* अत्तनै काण् उळ्ळमे* एल्लार्क्कुम्अण्डाददन्ऱो अदु।। -उपदेश रत्नमाला ५५ जिस प्रकार मणवाळ मामुनिगळ् (श्रीवरवर मुनि स्वामीजी) ने उपदेश रत्नमाला में वर्णन किया है, हमारे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय में सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ पिळ्ळै लोकाचार्य द्वारा … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर १६ – १८

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर १४ और १५ पासुर १६ सोलहवां पासुर। इस पासुर के साथ आरंभ करते हुए अगले पाँच पासुरों में श्रीवरवरमुनि स्वामी, पेरियाऴ्वार् (विष्णुचित्त स्वामी) की श्रेष्ठता का वर्णन करते हैं जो अन्य आऴ्वारों से अधिक महान हैं।  इन्ऱैप् पॆरुमै अऱिन्दिलैयो एऴै … Read more