सप्त गाथा – पासुरम् २

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ५ परिचय आचार्य वह हैं जो एक व्यक्ति को अर्थ पंचक के बारे में ज्ञान अर्जित कराते हैं और करुणापूर्वक अपने निर्देशों के साथ उस व्यक्ति को स्वीकार करते हैं, और इसलिए एक महान हितकारी हैं; ऐसे आचार्य … Read more

नाच्चियार तिरुमोऴि – सरल व्याख्या – तीसरा तिरुमोऴि – कोऴि अऴैप्पदन्

श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि <<दूसरा तिरुमोऴि पिछले दशक में, कण्णन्, आण्डाळ और अन्य गोपकुमारियाँ एक साथ थे [प्रसन्नचित्त]। इसे देखते हुए, लड़कियों के माता-पिता ने सोचा “अगर हम इन्हें इसी प्रकार जारी रखने की अनुमति दें, तो वे अपने मिलन के आनंद में डूब जाएँगी और मर भी सकती हैं”। … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २९ – ३०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २७ – २८ पासुरम् २९ उनतीसवां पासुरम्। वे अपने हृदय से चित्तिरै तिरुवादिरै के इस महान दिवस की महिमा को निरंतर चिंतन करने को कहते हैं। एन्दै एतिरासर् इव्वुलगिल् एन्दमक्कावन्दुदित्त नाळ् एन्नुम् वासिनियाल् – इन्दत्तिरुवादिरै तन्निन् सीर्मै तने नेञ्जेओरुवामल् एप्पोऴुदुम् … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ४ तडै काट्टि–  निम्नलिखित तथ्यों में बाधाओं को प्रकट करना १) संबंध के बारे में जो पहले प्रस्तुत किया गया था, २) ईश्वर, जो ऐसे संबंध का प्रतिरूप है, उनके प्रभुत्व का बोध ३) चेतन की अनन्य … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २७ – २८

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुरम् २५ -२६ पासुरम् २७ सत्ताईसवां पासुरम्। अगले तीन पासुरों में मामुनिगळ् एम्पेरुमानार्, जिनकी महानता आऴ्वारों की महानता के समान है और जो आऴ्वारों के सेवक और अन्य सभी के लिए स्वामी हैं, उनके दिव्य नक्षत्र की महिमा का आनंद लेते … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ४

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ३ जिस प्रकार से आचार्य इन नौ प्रकार संबंधों का निर्देश देते हैं जैसे कि तिरुवाय्मोऴि २.३.२ में वर्णित है “अऱियाधन अऱिवित्त” (ऐसे अनुभवों को बताया गया है जिसके बारे में प्रत्येक नहीं जानते), यह चेतना … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २५ -२६

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २३ – २४ पासुरम् २५पच्चीसवां पासुरम्। मामुनिगळ् मधुरकवि की महिमा को दो पासुरों में प्रकट करते हैं। इस पासुर में वे अपने हृदय से कहते हैं कि, चित्तिरै (चैत्र) महीने के चित्तिरै (चित्रा) नक्षत्र‌के दिन, जब मधुरकवि आऴ्वार् का अवतार … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ३

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग २ तत्पश्चात, जैसे “अवदारणमन्ये तु मध्यमान्तम् वदन्तिहि” और “अस्वातन्तर्यंतु जीवानाम् आधिक्यम् परमात्मन:। नमसाप्रोच्यते तस्मिन् नहन्ताममतोज्जिता” ।। [नम: जीवात्मा के पारतन्त्र्यम् (दासता) और परमात्मा के स्वातन्त्र्यम् (मुक्ति) की व्याख्या करता है। इस प्रकार नम: में अहंकार (शरीर … Read more

नाच्चियार तिरुमोऴि – सरल व्याख्या – दूसरा तिरुमोऴि – नामम् आयिरम्

श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि << पहला तिरुमोऴि एम्पेरुमान् दुखी थे कि उन्होंने हमें दूसरे देवता कामदेव के चरणों में प्रार्थना करने के लिए छोड़ दिया था। जब वे तिरुवायर्पाडि (श्री गोकुलम) में श्रीकृष्ण के रूप में थे वहाँ के चरवाहों ने इन्द्र को भोग दिया। यह देखकर कि उनके होते … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला << सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग १ अम् पोन् अरङ्गर्क्कुम् -मुक्तात्मा, जैसे तिरुमालै २ में कहा गया है “पोय् इन्दिरा लोगम् आळुम्” (परमपद जाना और वहाँ आनन्द लेना), अर्चिरादि मार्गम् से यात्रा करना (परमपद की ओर जाने वाला मार्ग) विरजा नदी … Read more