श्री:
श्रीमते शठकोपाय नमः
श्रीमते रामानुजाय नमः
श्रीमद्वरवर मुनये नमः
परिचय
तमिल व्याख्या – श्री उ.वे.T.A. कृष्णमाचार्य, तिरुपति
इसके आधार पर अँग्रेजी व्याख्या – डॉ. M..वरदराजन,MA, Ph.D, चेन्नई और् श्री उ. वे. वंगीपुरम शठकोपन्
e-book : https://1drv.ms/b/s!AiNzc-LF3uwygiUMkhiv1c3ujqs5
श्री देवराज स्वामीजी – कान्चीपुरम्
श्री वरवरमुनि दिनचर्या एक विशेष स्तोत्र है , जिसकी रचना श्री देवराज स्वामीजी ने की है , इनको यरुम्बीयप्पा के नाम से भी जाना जाता है । देवराज स्वामीजी एक प्रसिद्ध विद्वान और कवि थे । श्री वरवरमुनि स्वामीजी द्वारा स्थापित सतसंप्रदाय के अष्ट दिग्गजों में से एक है । इन्होने वरवरमुनि स्वामीजी को भगवान के रूप में माना और वरवरमुनि काव्यम, वरवरमुनि शतकम, वरवरमुनि चम्पु जैसे अनेक स्तोत्रों की रचना की । पिल्लै लोकाचार्यजी के यतीन्द्र प्रवण प्रभावम में इनके वैभव का वर्णन है । वरवरमुनि स्वामीजी के समय में सन १३७० से १४४३ तक विराजमान थे । इनके द्वारा रचित वरवरमुनि दिनचर्या में वरवरमुनि स्वामीजी के सुबह उत्थापन से लेकर शयन के समय तक सभी कार्यों का वर्णन है । पूर्व दिनचर्या, यतिराज विशंती और उत्तर दिनचर्या ये वरवरमुनि दिनचर्या के तीन भाग है । पूर्व दिनचर्या में स्वामीजी के दिन के पहिले हिस्से की गतिविधियों का वर्णन है और उत्तर दिनचर्या में दिन के दूसरे हिस्से की गतिविधियों का वर्णन है । हरदिन वरवरमुनि स्वामीजी श्रीरामानुज स्वामीजी की आराधना यतिराज विशंती के पठन के साथ करते थे , इसलिये वरवरमुनि दिनचर्या ग्रंथ के मध्य भाग में इसको स्थान दिया गया है ।
श्री उ.वे. तिरुमाझीशै अन्नपंगर स्वामीजी ने २६० वर्ष पहिले इस पर संस्कृत में टीका किया था । उसके आधार पर तिरुपति के श्री उ.वे. T.A. श्रीकृष्णमाचार्य स्वामीजी तमिल में व्याखा की है । तमिल के आधार पर डॉ.M.वरदराजनजी ने अँग्रेजी में व्याख्या की है । इसके आधार पर हिन्दी में व्याख्या की जा रही है ।
श्री उ.वे. T.A. श्रीकृष्णमाचार्य स्वामीजी
तनियन्
श्री देवराज स्वामीजी का मंगलाशासन
सौम्यजामातृ योगीन्द्र चरणाम्बुज षट्पदम ।
देवराजगुरूं वन्दे दिव्यज्ञानप्रदं शुभम ॥
मै श्री देवराज गुरुजी को साष्ठांग करता हूँ, जो श्रीवरवरमुनि स्वामीजी के श्रीचरणाविन्दो मेँ भौरे की तरह है । उनके पास जो लोग आते है उन्हे ब्रम्ह ज्ञान ( दिव्य ज्ञान ) का उपदेश देते है , और स्वयं ज्ञान और धार्मिक अभ्यास द्वारा प्रबुद्ध है ।
पूर्वदिनचर्या
श्लोक १
श्लोक २
श्लोक ३
श्लोक ४
श्लोक ५
श्लोक ६
श्लोक ७
श्लोक ८
श्लोक ९
श्लोक १०
श्लोक ११
श्लोक १२-१३
श्लोक १४
श्लोक १५
श्लोक १६
श्लोक १७
श्लोक १८
श्लोक १९
श्लोक २०
श्लोक २१
श्लोक २२
श्लोक २३
श्लोक २४
श्लोक २५
श्लोक २६
श्लोक २७
श्लोक २८
श्लोक २९
श्लोक ३०
श्लोक ३१
श्लोक ३२
उत्तरदिनचर्या
श्लोक १
श्लोक २
श्लोक ३
श्लोक ४-५
श्लोक ६
श्लोक ७
श्लोक ८
श्लोक ९
श्लोक १०
श्लोक ११
श्लोक १२
श्लोक १३
श्लोक १४
निष्कर्ष
अन्य भाशा
- अँग्रेजी – https://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2015/05/sri-varavaramuni-dhinacharya/
- तमिल – https://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2015/05/sri-varavaramuni-dhinacharya-tamil/
archived in https://divyaprabandham.koyil.org
pramEyam (goal) – https://koyil.org
pramANam (scriptures) – http://granthams.koyil.org/
pramAthA (preceptors) – https://acharyas.koyil.org/
srIvaishNava education/kids portal – http://pillai.koyil.org