उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ५३ – ५४
। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ५१ – ५२ पासुरम् ५३ तिरेपनवां पासुरम्। इस पासुरम् से लेकर श्रीवरवरमुनि स्वामी (मामुनिगळ्) कृपापूर्वक श्रीवचन भूषणम् ग्रन्थ का सार और उसकी महिमा बताते हैं, जो पिळ्ळै लोकाचार्य द्वारा दयापूर्वक लिखा गया था और जो आऴ्वारों के दिव्य प्रबंधों … Read more