उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ७० – ७२
। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ६७-६९ पासुरम् ७० सत्तरवां पासुरम्। श्रीवरवरमुनि स्वामी उस बुराई की व्याख्या करते हैं जब प्रतिकूल लोग, जो त्याज्य हैं, उनकी संगत के कारण हमारे साथ होती है। तीय गन्दम् उळ्ळदॊन्ऱैच् चेर्न्दिरुप्पदॊन्ऱुक्कुतीय गन्दम् एऱुम् तिऱम् अदु पोल् – तीयगुणम् उडैयोर् … Read more