तिरुवाय्मोळि नूट्रन्दाधि (नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुरम २१ – ३०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः श्रृंखला << ११ – २० इक्कीसवाँ पाशुर् – (मुडियार् तिरुमलैयिल्…) इस पाशुरम् में, मामुनिगळ् आऴ्वार् के पासुरम् का अनुसरण कर रहे हैं और तिरुमलै (तिरुमालिरुञ्जोलै) में रहने वाले अऴगर् एम्पेरुमान् के सुंदर रूप का पूरी तरह से आनंद ले रहे हैं और दयापूर्वक इसे समझा … Read more

तिरुवाय्मोळि नूट्रन्दाधि (नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुरम ११ – २०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः श्रुंखला << १ – १० ग्यारहवां पाशुर – (वायुम् तिरुमाल्….) इस पाशुर में, श्रीवरवरमुनी स्वामीजी आऴ्वार् के पाशुरों काअनुसरण कर रहे हैं, जिसमें सभी प्राणियों को स्वयं के तरह पीड़ित मानते हैं और दयापूर्वक समझा रहे हैं। वायुम् तिरुमाल् मऱैय निर्क आट्रामैपोय् विन्जि मिक्क पुलम्बुदलाय् … Read more

तिरुवाय्मोऴि नूट्रन्तादि (नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या– पाशुरम १ – १०

।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। श्रुंखला <<तनियन् पहला पाशुरम : (उयर्वे परन् पडि…) यहाँ, श्रीवरवरमुनि स्वामीजी आऴ्वार् के दिव्य शब्दों का अर्थसमझा रहे हैं , अर्थात तिरुवाय्मोऴि का यह पहला दशक, जो एम्पेरुमान की सर्वोच्चता को प्रकट करता है और जोनिर्देश देता है कि “परमेश्वर के दिव्य चरणों का आश्रय … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर ४ – ६

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुर १ – ३ पासुर ४ चौथे पासुर में मामुनिगळ् ने, आऴ्वार् जिस क्रम में अवतरित हुए उस क्रम को बताया है। पॊय्गैयार् भूतत्तार् पेयार् पुगऴ् मऴिसैअय्यन् अरुळ् माऱन् सेरलर्कोन् – तुय्य भट्टनातन् अन्बर् ताळ् दूळि नऱ्-पाणन् नऱ्-कलियन्ईदिवर् तोट्रत्तु अडैवाम् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर १ – ३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << तनियन् पासुर १ इस पासुर में मामुनिगळ् अपने आचार्य (शिक्षक) को प्रणाम करते हैं, और स्पष्ट रूप से इस ग्रंथ को दया पूर्वक रचने के अपने उद्देश्य को बताते हैं। ऎन्दै तिरुवाय्मॊऴि पिळ्ळै इन्नरुळाल् वन्दउपदेस मार्गत्तैच् चिन्दै सॆय्दुपिन्नवरुम् कऱ्-क उपदेसमाय् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – तनियन्

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै मुन्नम् तिरुवाय्मोऴि पिळ्ळै ताम् उपदेसित्त  नेर तन्निन्पडियैत् तणवादसॊल् मणवाळमुनितन् अन्बुडन् सॆय् उपदेस रत्तिन मालै तन्नैतन्नॆञ्जु तन्निल् दरिप्पवर् ताळ्गळ् चरण् नमक्के॥ यह तनियन् (एक अकेली स्तुति/मंगळाचरण, जो ग्रंथ में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है) कोयिल् कन्दाडै अण्णन् द्वारा दयालु रूप से रचित … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । अन्य प्रबंध उपदेश रत्तिनमालै   एक अद्भुत तमिऴ् ग्रंथ (दिव्य संरचना) है, जिसे दयापूर्वक हमारे श्रीवरवरमुनि स्वामी (मणवाळ  मामुनिगळ्) द्वारा रचित किया गया है, जो “विशधवाक शिखामणि” (एक प्रभावशाली वाणी, और मुकुट में जडे आभूषण के समान) हैं। यह एक अद्भुत रचना है … Read more

तिरुवाय्मोऴि नूट्रन्दादि (नूत्तन्दादि) – तनियन्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला तनियन् १अल्लुम् पगलुम् अनुबविप्पार् तङ्गळुक्कुच्चॊल्लुम् पॊरुळुम् तॊगुत्तुरैत्तान् – नल्लमणवाळ मामुनिवन् माऱन् मऱैक्कुत्तणवा नूट्रन्तादि तान् जो लोग मीठे शब्दों और उनके अर्थों का आनंद लेने की इच्छा, निरंतर रात और दिन रखते हैं, उनके लिए मणवळ मामुनिगळ् ने दयापूर्वक, तमिळ् वेदं तिरुवाय्मोऴि के अर्थ … Read more

तिरुवाय्मोऴि नूट्रन्दाधि (नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः श्रीमन्नारायण ने नम्माऴ्वार् को उनके प्रति उत्तम ज्ञान और भक्ति का आशीर्वाद दिया। नम्माऴ्वार् की अपरिहार्य प्रवाह से तिरुविरुत्तम, तिरुवासिरियम, पेरिय तिरुवन्दादी और तिरुवाय्मोऴि नामक चार अद्भुत प्रबंध बन गए। इनमें से तिरुवाय्मोऴि को सामवेद का सार माना जाता है।तिरुवाय्मोऴि में उन सभी महत्वपूर्ण सिद्धांतों … Read more

अमलनादिपिरान् – सरल व्याख्या

।।श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। मुदलायीरम् श्री मणवाळ मामुनिगळ् स्वामीजी ने अपनी उपदेश रत्नमालै के दसवें पाशुर में अमलनादिपिरान् की महत्ता को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत वर्णित किया है। कार्त्तिगैयिल् रोहिणि नाळ् काण्मिनिन्ऱु कासियिनीर्वाय्त्त पुगळ्प् पाणर् वन्दु उदिप्पाल् – आत्तियर्गळ्अन्बुडने तान् अमलन् आदिपिरान् कऱ्ऱदऱ् पिन्नन्गुडने कोण्डाडुम् नाळ्। अरे … Read more