आर्ति प्रबंधं – ५९
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५८ उपक्षेप मामुनि कहतें हैं, “ मेरे आचार्य तिरुवाईमोळिपिळ्ळै के कृपा से आपके चरण कमलों से मेरा संबंध का ज्ञान हुआ। हे रामानुज! आप कब मेरे यह साँसारिक बँधन को काटेँगे जिसके पश्चात (आत्मा के सुहृद) पेरिय पेरुमाळ गरुड़ में सवार पधारेँगे … Read more