चतुः श्लोकी

श्रीः
श्रीमते शठकोपाय नमः
श्रीमते रामानुजाय नमः
श्रीमद्वरवरमुनये नमः

पेरुंदेवी तायार , उबयनाचियार संग श्री वरदराज पेरुमाळ, कांचीपुरम

alavandharआळवन्दारकाट्टुमन्नारकोईल

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श्री आळवन्दार (यामुनाचार्यजी) अत्यंत कृपा से संस्कृत में श्रीमन् नारायण के सहधर्मिणि श्रीमहालक्ष्मी के वैभव प्रकटित स्तोत्र प्रबंध -चतुः श्लोकी (चार श्लोक) लिखें।

न्याय वेदांत विध्वान दामल वंकिपुरम श्री उ.वे. पार्थसारथी अय्यंगार स्वामी ने इसकी , सरल तमिळ में अनुवाद लिखें हैं। उसकी हिंदी अनुवाद हम यहाँ देखेंगे।

इन चार श्लोकों के साथ इस ग्रन्थ के लेखक स्वामि आळवन्दार के वैभव को प्रकट करने के लिए, स्वामि रामानुज द्वारा रचित तनियन (आमंत्रण) भी प्रस्तुत है। इसके अलावा इन चारों श्लोकों का पेरुंदेवी तायार (कांचीपुरम श्री वरदराजपेरुमाळ की दिव्य महिषी) से संबंध प्रकट करने वाला, अंत में दोहराने वाला श्लोक भी उपलब्ध है। इस प्रबंध के अद्भुत अनुभव को बढ़ाने के लिए दामल स्वामि द्वारा अंत में दो और श्लोक भी जोड़े गए है।

-अडियेन् प्रीती रामानुजदासि

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