उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ५१ – ५२

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुरम् ५० पासुरम् ५१ इक्यावनवां पासुरम्। मामुनि (श्रीवरवरमुनि स्वामी) दयालु होकर समझाते हैं, नम्पिळ्ळै‌ को लोकाचार्य का प्रतिष्ठित दिव्य नाम कैसे मिला। तुन्नु पुगऴ् कंदाडै तोऴप्पर् तम्मुगप्पाल्ऎन्नवुलगारियनो ऎन्ऱु उरैक्क – पिन्नैउलगारियन् ऎन्नुम् पेर् नम्बिळ्ळैक्कोङ्गिविलगामल् निन्ऱदु ऎन्ऱुम् मेल् कन्दाडै तोऴप्पर् एक ऐसे … Read more

उपदेश रत्तिनमालै  – सरल व्याख्या – पासुरम् ५०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ५० पचासवां पासुरम्। इस प्रकार ईडु भाष्य की महानता को समझाने के बाद, श्रीवरवरमुनि स्वामी श्रीवचनभूषण की महानता का वर्णन करने का निर्णय लेते हैं, जो कि तिरुवाय्मोऴि का वास्तविक अर्थ है। प्रारंभ में बताते हैं कि नम्पिळ्ळै … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४८ – ४९

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ४८  अड़तालीसवाँ पाशुरम्। इस तरह [अन्य दिव्य प्रबंधों के लिए लिखे गए] व्याख्यानों की व्याख्या करने के बाद, श्री वरवरमुनि स्वामी कृपापूर्वक अगले दो पासुरम् के माध्यम से नम्पिळ्ळै की प्रख्यात टीका ‘ईडु’ की व्याख्या के बारे में … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४६ – ४७

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ४६ छियालीसवाँ पासुरम्। क्योंकि वेद (जिसमें अंग प्राथमिक घटक है और उपांग द्वितीय घटक है) के जैसे तिरुवाय्मोऴि के भी अन्य दिव्यप्रबंधों के रूप में प्राथमिक और द्वितीय घटक होते हैं, इन प्रबंधों के लिए दयापूर्वक व्याख्यान … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४४ – ४५

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ४४ चौवालीसवां पासुर। मामुनि स्वामी जी नम्पिळ्ळै द्वारा आयोजित प्रवचनों से पांडुलिपि के रूप में व्याख्या लिखने की महिमा के बारे में बताते हैं। तॆळ्ळियदा नम्पिळ्ळै सॆप्पु नॆऱि तन्नैवळ्ळल् वडक्कुत् तिरुवीधिप् पिळ्ळै – इन्दनाडऱिय माऱन् मऱैप् पॊरुळै नन्गु … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४१ – ४३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पाशुरम् ४१ इकतालीसवां पाशुरम्। वे दयापूर्वक आऱायिरप्पडि (एक पडि में ३२ अक्षर होते हैं) व्याख्यानम् के बारे में बताते हैं, जिसे तिरुक्कुरुगैप्पिरान् पिळ्ळान् ने तिरुवाय्मॊऴि के लिए दयापूर्वक रचा था। तॆळ्ळारुम् ज्ञानत् तिरुक्कुरुगैप्पिरान्पिळ्ळान् ऎदिरासर् पेररुळाल् – उळ्ळारुम्अन्बुडने माऱन् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३८ – ४०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ३८ अड़तीसवाँ पासुरम्। मामुनिगळ् ने दयालुतापूर्वक रामानुजाचार्य को नम्पेरुमाळ् द्वारा दिये गये महान सम्मान को प्रकट किया ताकि हर कोई जान सके कि रामानुजाचार्य ने कितनी अच्छी तरह प्रपत्ति (भगवान के प्रति समर्पण) मार्ग अपनाया था, और … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३६ और ३७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ३४ और ३५  पासुरम् ३६ छत्तीसवां पासुरम्। वे अपने हृदय से कहते हैं कि हमारे आचार्यों के अलावा और कोई नहीं है जो आऴ्वारों और उनके अरुळिच्चॆयल् की श्रेष्ठता को पूर्णतः जानते हों।  तॆरुळुट्र आऴ्वार्गळ् सीर्मै अऱिवार् आर्अरुळिच्चॆयलै अऱिवार् आर् – अरुळ् पॆट्र … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३४ और ३५ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ३१ – ३३ पासुरम् ३४  चौंतीसवां पासुरम्। मामुनिगळ् अब तक दयालुता पूर्वक उन नक्षत्रों और स्थलों के बारे में बताते रहे जहाँ आऴ्वार् अवतरित हुए। तीसरे पासुरम् में उन्होंने “ताऴ्वादुमिल् कुरवर् ताम् वाऴि- एऴ्पारुम् उय्य अवर्गळ् उरैत्तवैगळ् ताम वाऴि” कहकर हमारे आचार्यों के … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३१ – ३३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुर २९ – ३० पासुरम् ३१ इक्तीसवां पासुरम्। वे दयालुतापूर्वक उन स्थानों का उल्लेख करते हैं जहाँ तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् और कुलशेखर आऴ्वार् अवतरित हुए।  तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् तोन्ऱिय ऊर् तॊल् पुगऴ् सेर् मंडङ्गुडि ऎन्बर् मण्णुलगिल्- ऎण् दिसैयुम्एत्तुम् कुलसेकरन् ऊर् ऎन उरैप्पर्वाय्त्त तिरुवञ्जिक्कळम् … Read more