श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम:
उपक्षेप
परमपद के पथ में आनेवाली बाधाओँ से रक्षण जिन्की आशीर्वाद से साध्य है उन श्री रामानुज के जयों के श्रेय, मणवाळ मामुनि इस पासुरम में गाते हैं। वेदों को तिरस्कार करने वाले तथा वेदों की अर्थों को अनर्थ प्रकट करने वालों की पराजय श्री रामानुज अपने श्रीभाष्य जैसे ग्रंथों से करते हैं। श्री रामानुज के जयों की प्रशंसा कर उन्की मँगळं भी गाते हैं।
पासुरम २९
चारुवाग मदनीरु सैदु समण छेडीक्कनल कोळूतिये
साक्कियकडलै वट्रवित्तु मिगुसांकिय किरि मुरित्तिड
मारु सेयदिडु कणाद वादियगळ वाय तगर्थु अरमिगुत्तु मेल
वंद पासुपदर सिंदियोडुम वगै वादु सैद ऐतिरासनार
कूरुम माकुरु मदत्तोडु कुमारिलन मदम अवट्रिन मेल
कोडिय तर्क चरम विट्टपिन कुरुगिय मायावादियरै वेन्रीड
मीरि वादिल वरु पार्करन मदविलक्कडि कोडियेरिंदु पोय
मिक्क यादव मदतै मायत्त पेरुवीरर नाळूम मिग वाळिये !!!
शब्दार्थ
चारुवाग मदनीरु सैदु – “प्रत्यक्षमेकं चार्वाक:” अर्थात चार्वाक सिध्दांत को मानने वाले दृश्य विषयों को ही मानेँगे। इस “चारुवाग” धर्म को श्री रामानुज ने भस्म किया।
समण छेडीक्कनल कोळूतिये – “समण” याने जैन धर्म नामक अपतृण को जलाया
साक्कियकडलै वट्रवित्तु – “साक्कियम” (बौद्ध) धर्म नामक सागर को अपने ग्रंथों के प्रभाव से सुखाया
मिगुसांकिय किरि मुरित्तिड – श्री रामानुज “सांख्य” धर्म को नाश किये ( अधिकतर उपस्थिति के कारण यह पहाड़ कहलाया गया है )
तगर्थु – अपने वाद से नाश किये
वाय- प्रस्तुत ,वाद
मारु सेयदिडु कणाद वादियगळ – “काणाद वादिगळ” नामक गण के तरफ से प्रति वाद के रूप में
अरमिगुत्तु मेल वंद – धर्म सुसंथापित किए , और लगातार आने वाले (हमलों )
पासुपदर सिंदियोडुम वगै – अपने जीवन रक्षण की हेतु अपने कुटुंब के संग दौड़ने वाले रूद्र के जैसे उन्के भक्त “शिवसमयिगळ” भी भगाये गए
वादु सैद ऐतिरासनार – ऐतिरासन के वाद से
कोडिय तर्क चरम विट्टपिन अवट्रिन मेल – (श्री रामानुज) “तर्क”( सामान्य ज्ञान जैसे तरीखों से वाद करना) के तीरों से हमला कर और नाश किए
कूरुम – अज्ञानी वाद
मा – अनेकों
कुरु मदत्तोडु – “प्रभाकर मथ” नामक सिद्धांत
कुमारिलन मदम – और “भट्ट मथ” नामक सिद्धांत
कुरुगिय मायावादियरै वेन्रीड – “मायावाद” सिद्धांत के लोगों के स्थान में जा उन्के वादों को जय किये।
पार्करन मदविलक्कडि कोडियेरिंदु पोय – “भास्कर” सिद्धांत के लोगो के वादों को हिलाकर उखड़े, और उन्को फ़ेंक कर आगे बड़े।
मीरी वादिल वरुम – यही “भास्कर” सिद्धांत के जन अत्यंत घमंड के सात श्री रामानुज से वाद करने आए।
मिक्क यादव मदतै मायत्त – (भास्कर सिद्धांत को पराजित कर, श्री रामानुज) “यादवप्रकाश”सिद्धांत, जिसके अधिक अनुयायी थे ,उसको नाश किए।
नाळूम मिग वाळिये – जय हो !
पेरुवीरर – अद्वितीय साहसनीय और विरोधियों को पराजित करने वाले एम्पेरुमानार
सरल अनुवाद
इस पासुरम में मणवाळ मामुनि , श्री रामानुज के विजयों की उत्सव मनाते हैं। उस समय प्रचलित और प्रसिद्द सिद्धांतों की मामुनि सूची देते हैं। “चारुवाक”, “समणम” , “साख्यं”, “सांख्यं”, “काणावादि”, “पाशुपत”, “प्रभाकर”, “भाट्ट”, “मायावाद” और “यादव” आदि धर्मों को पराजित करने वाले श्री रामानुज को मणवाळ मामुनि प्रशंसा करते हैं। और प्रतिदिन, श्री रामानुज को अनेकों विजयों प्राप्त होने केलिए मणवाळ मामुनि मंगळम गाते हैं।
स्पष्टीकरण
चारुवाक धर्म की आधारिक तत्व है “प्रत्यक्षमेव चार्वाक:” अर्थात आँखों से दिखने वाले विषयों को ही माननेवाले। यह वाद श्री रामानुज के वाक् चातुर्य के किरणों से भस्म हो गया। “समणम” (जैन) नामक धर्म पर आग लगाए। “साख्य” धर्म के सागर को अपने वादों से सुखायें। “सांख्य” नामक धर्म अधिकतर फैला हुआ था। इसी कारण वह पहाड़ समानित की जाता था। किंतु श्री रामानुज अपने वज्रायुद के समान वादों से नाश किये। “काणाद वादिगळ” नामक धर्म के लोग प्रतिवाद के लिए प्रसिद्द थे। इन्को अपने प्रतिवाद से हराये।
“पाशुपतर” नामक एक गण था। इस गण के जन श्री रामानुज से वाद कर उन्हें पराजित करना चाहे। किंतु श्री रामानुज के वाद के कारण ये भागे। बाणासुर से श्री कृष्ण के युद्ध के समय ऐसे ही रूद्र और उन्के परिवार भागे।”प्रभाकर “ और “ भाट्ट” धर्मों के वादों के सामने श्री रामानुज अपने शक्तिमान वादों को बाणों की तरह प्रयोग किये। इसके पश्चात श्री रामानुज “ मायावाद” धर्म के लोगों के स्थल तक गए। “वादिल वेनरान नममिरामानुसन” (ईरामानुस नूट्रन्दादि ५८) के अनुसार इन मायावादियों को श्री रामानुज अपने वादों से पराजित किये। “भास्कर” धर्म के लोग श्री रामानुज से वाद करने आये। श्री रामानुज पराजित ही नहीं किये ,बल्के यह निश्चित किये कि उस पथ में कभी कोई न जाए। “यादव” धर्म के अनेकों अनुयायी थे जो श्री रामानुज के पराजय को ही एकमात्र लक्ष्य समझकर आये। पर उस धर्म कि भी, कोई भी निशानी के बिना श्री रामानुज नाश किये।
मणवाळ मामुनि चाहते हैं कि श्री रामानुज के ये वीर साहस( अन्य धर्मों की नाश ) प्रतिदिन प्रचलित रहें।
अडियेन प्रीती रामानुज दासी
आधार : https://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2016/10/arththi-prabandham-29/
संगृहीत- https://divyaprabandham.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org