सप्त गाथा – पासुरम् ६
श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा – पासुरम् ५ परिचय विळाञ्जोलैप् पिळ्ळै अवलोकन कर रहे हैं कि पेरिय पेरुमाळ् दयापूर्वक कह रहे हैं, “यद्यपि संसारियों (सांसारिक जन) के बीच विद्यमान हैं जो पूर्णत: इन चार दृष्टिकोण में व्यस्त हैं (आचार्य के प्रति प्रेम नहीं रखते, स्वयं से … Read more