उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २९ – ३०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। ।

उपदेश रत्तिनमालै

<<पासुर २७ – २८

पासुरम् २९

उनतीसवां पासुरम्। वे अपने हृदय से चित्तिरै तिरुवादिरै के इस महान दिवस की महिमा को निरंतर चिंतन करने को कहते हैं।

एन्दै एतिरासर् इव्वुलगिल् एन्दमक्का
वन्दुदित्त नाळ् एन्नुम् वासिनियाल् – इन्दत्
तिरुवादिरै तन्निन् सीर्मै तने नेञ्जे
ओरुवामल् एप्पोऴुदुम् ओर्

ऐ हृदय! जिस चित्तिरै तिरुवादिरै में यतिराज (स्वामी रामानुज) इस संसार में अवतरित हुए, उस दिवस की महानता का विश्लेषण करते हुए आनंद का अनुभव करो।
पिछले पासुरम् में उन्होंने पूरे विश्व को निर्देश दिया था, इस पासुरम् में वे इस प्रतिष्ठित दिवस के गौरव में सम्मिलित होते हैं और इसका आनंद लेते हैं। जैसे कि एम्पेरुमानार् ने स्वयं अपने शरणागति गद्यम् में अनुभव किया था, ” अखिल जगत स्वामिन्! अस्मत् स्वामिन्!” (हे समस्त विश्व के स्वामी! हे मेरे स्वामी!) उसी प्रकार, मामुनिगळ् भी पहले पासुरों में एम्पेरुमानार् द्वारा इस समस्त विश्व को‌ प्राप्त हुए कल्याण का आनंद लेते हैं और इस पासुरम् में एम्पेरुमानार् द्वारा अपने आप को प्राप्त हुए कल्याण का आनंद लेते हैं।

पासुरम् ३०

तीसवां पासुरम्। अब तक मामुनिगळ् ने आऴ्वारों के अवतरण दिवस का खूब अनुभव लिया। इस पासुर से लेकर अगले चार पासुरों में वे कृपापूर्वक उन स्थलों की चर्चा करते हैं, जहाँ मुदलाऴ्वारों (पहले तीन आऴ्वार) ने अवतार लिया था। श्री अयोध्या और श्री मथुरा दिव्य निवास हैं जहाँ एम्पेरुमान् ने अवतार लिया था (क्रमशः श्री राम और‌ श्री कृष्ण के रूप में)। जिन स्थलों पर आऴ्वार अवतरित हुए उनकी महिमा ऊपर वर्णित दिव्य धामों से क‌ई अधिक है, क्योंकि हम आऴ्वारों के अवतार के पश्चात ही एम्पेरुमान् के विषय से ज्ञात हुए।

एण्णरुम् सीर्प् पोय्गै मुन्नोर् इव्वुलगिल् तोन्ऱिय ऊर्
वण्मै मिगु कच्चि मल्लै मामयिलै – मण्णियिल् नीर्
तेङ्गुम् कुऱैयलूर् सीर्क् कलियन् तोन्ऱिय ऊर्
ओङ्गुम् उऱैयूर् पाणन् ऊर्

मुदल् आऴ्वार् अर्थात, पोय्गै आऴ्वार्, भूतत्ताऴ्वार् और पेयाऴ्वार् में असंख्य शुभ गुण हैं। जिन स्थलों में उन्होंने अवतार लिया वे हैं क्रमशः भव्य काँचिपुरम् (तिरुवेह्का), तिरुकडल्मल्लै (वर्तमान महाबलिपुरम) और‌ तिरुमयिलै (मऐलआपूर, चेन्नई) हैं। तिरुक्कुऱैयलूर् दिव्य क्षेत्र जहाँ मण्णि नदी का जल प्रचुर मात्रा में है, वहाँ प्रख्यात तिरुमङ्गै आऴ्वार् का अवतार हुआ था। उऱैयूर् जो तिरुक्कोऴि नाम से प्रसिद्ध है, जिसकी ख्याति उच्चतम है, वहाँ तिरुप्पाणाऴ्वार् का अवतार हुआ था।

अडियेन् दीपिका रामानुज दासी

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