Arththi prabandham – Audio

SrI:  SrImathE SatakOpAya nama:  SrImathE rAmAnujAya nama:  SrImath varavaramunayE nama: SrI rAmAnuja – SrIrangam maNavALa mAmunigaL – SrIrangam English Meanings thaniyan1 pAsuram 1 pAsuram 2 pAsuram 3 pAsuram 4 pAsuram 5 pAsuram 6 pAsuram 7 pAsuram 8 pAsuram 9 pAsuram 10 pAsuram 11 pAsuram 12 pAsuram 13 pAsuram 14 pAsuram 15 pAsuram 16 pAsuram 17 … Read more

आर्ति प्रबंधं – ६०

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५९ उपक्षेप आर्ति प्रबंधं के इस अंतिम पासुरम में मामुनिगळ विचार करतें हैं, “ हमें अपने लक्ष्य के विषय में और क्यों तृष्णा हैं? पेरिय पेरुमाळ से श्री रामानुज को सौंपें गए सर्वत्र, श्री रामानुज के चरण कमलों में उपस्थित उन्के सारे … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५८

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५७ उपक्षेप पिछले पासुरम के “तिरुवाईमोळिप्पिळ्ळै वासमलर ताळ अडैंद वत्तु” से मामुनि खुद को तिरुवाईमोळिप्पिळ्ळै के चरण कमलों को चाहनें वाले वस्तु घोषित करतें हैं। वें आगे कहतें हैं कि तिरुवाईमोळिप्पिळ्ळै के संबंध (आचार्य और शिष्य) से ही वें श्रीरामानुज के संबंध … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५७

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५६ उपक्षेप मामुनिगळ इस पासुरम में श्री रामानुज के एक काल्पनिक  प्रश्न कि उत्तर प्रस्तुत करतें हैं। श्री रामानुज के प्रश्न:” हे मामुनि! हम आपके विनम्र प्रार्थनाओं को सुनें। आप किस आधार पर , किसके सिफ़ारिश पर मुझें ये प्रार्थना कर रहें … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५६

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५५ उपक्षेप पिछले पासुरम में, मामुनि ने, “मदुरकवि सोरपडिये निलयाग पेट्रोम” गाया था।  उस्के संबंध में और अगले पद के रूप में , इस पासुरम में वें एम्पेरुमानार के दिव्य चरण कमलों में नित्य कैंकर्य की प्रार्थना करतें हैं। पासुरम ५६ उनदन … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५५

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५४   उपक्षेप एक सच्चे शिष्य और अटल सेवक को दो विषयों की ज्ञान होनी चाहिए १) उस्के लाभार्थ मात्र आचार्य ने कृपा से किये सारे विषय २) भविष्य में आचार्य से मिलने वाली विषयों में दिलचस्पी इन दोनों में से पहले … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५४

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५३   उपक्षेप पिछले  पासुरम में मामुनि श्री रामानुज से खुद सुधार कर इस सँसार से विमुक्त करने की प्रार्थना को ज़ारी रखें। मामुनि जानते हैं की श्री रामानुज उनकी प्रार्थना को पूरा करेँगे, किंतु “ ओरु पगल आयिरम ऊळियाय” (तिरुवाय्मोळि १०.३.१) … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५३

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५२     उपक्षेप पिछले पासुरम में मामुनि अपने अंतिम दिशा को वर्णन करते समय, पेरिय पेरुमाळ के गरुड़ में सवार उन्के (मामुनि को दर्शन देनें) यहाँ आने की बात भी बताया। इससे यह प्रश्न उठता है कि अपने अंतिम दिशा पर … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५२

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५१   उपक्षेप मामुनि कहतें हैं कि, श्री रामानुज के असीमित कृपा के कारण उन्हें (मामुनि को) अपने व्यर्थ हुए काल कि अफ़सोस करने का मौका मिला।  आगे इस पासुरम में वें ,श्री रामानुज के कृपा की फल के रूप में ,पेरिय … Read more

आर्ति प्रबंधं – ५१

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नम:  श्रीमते रामानुजाय नम:  श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पाशुर ५० उपक्षेप एम्पेरुमानार विचार करतें हैं, “ तुम्हें अन्य तुच्छ विषयों के बारे में बात करने की क्या आवश्यकता हैं? इस्से पूर्व तुम्हारी स्थिति क्या थी?”. इस्के उत्तर में मामुनि कहतें हैं, “ मैं भी उन्हीं लोगों के तरह अनादि कालों से … Read more