सप्त गाथा – पासुरम् २

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ५ परिचय आचार्य वह हैं जो एक व्यक्ति को अर्थ पंचक के बारे में ज्ञान अर्जित कराते हैं और करुणापूर्वक अपने निर्देशों के साथ उस व्यक्ति को स्वीकार करते हैं, और इसलिए एक महान हितकारी हैं; ऐसे आचार्य … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ४ तडै काट्टि–  निम्नलिखित तथ्यों में बाधाओं को प्रकट करना १) संबंध के बारे में जो पहले प्रस्तुत किया गया था, २) ईश्वर, जो ऐसे संबंध का प्रतिरूप है, उनके प्रभुत्व का बोध ३) चेतन की अनन्य … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ४

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ३ जिस प्रकार से आचार्य इन नौ प्रकार संबंधों का निर्देश देते हैं जैसे कि तिरुवाय्मोऴि २.३.२ में वर्णित है “अऱियाधन अऱिवित्त” (ऐसे अनुभवों को बताया गया है जिसके बारे में प्रत्येक नहीं जानते), यह चेतना … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग ३

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग २ तत्पश्चात, जैसे “अवदारणमन्ये तु मध्यमान्तम् वदन्तिहि” और “अस्वातन्तर्यंतु जीवानाम् आधिक्यम् परमात्मन:। नमसाप्रोच्यते तस्मिन् नहन्ताममतोज्जिता” ।। [नम: जीवात्मा के पारतन्त्र्यम् (दासता) और परमात्मा के स्वातन्त्र्यम् (मुक्ति) की व्याख्या करता है। इस प्रकार नम: में अहंकार (शरीर … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला << सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग १ अम् पोन् अरङ्गर्क्कुम् -मुक्तात्मा, जैसे तिरुमालै २ में कहा गया है “पोय् इन्दिरा लोगम् आळुम्” (परमपद जाना और वहाँ आनन्द लेना), अर्चिरादि मार्गम् से यात्रा करना (परमपद की ओर जाने वाला मार्ग) विरजा नदी … Read more

सप्त कादै – पासुरम् १ – भाग १

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग २ अवतारिका(परिचय) जैसे कि हरीत स्मृति ८-१४१ में कहा गया है “प्राप्यस्य ब्रह्मनो रूपम् प्राप्तुश्च प्रत्यगात्मन:। प्राप्त्युपायम् पलम् प्राप्तेस्तथा प्राप्ति विरोधी च। वदन्ति सकला वेदा:सेतिहास पुराणका:। मुनयश्च महात्मानो वेद वेदार्थ वेदिन:।।” (इतिहास और पुराण … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग २

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<अवतारिका (परिचय) – भाग १ पहले भाग से आगे बढ़ते हुए अपनी अपार करुणा से, विळान्जोलैप् पिळ्ळै ने अपने अलौकिक हृदय में नम्माळ्वार के तिरुवाय्मोळि का सार है और परम रहस्य विषय-  श्रीवचन भूषण दिव्य शास्त्र के गूढ़ अर्थों की भिन्न रुप में … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग १

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला << तनियन (मंगलाचरण) विळान्जोलैप्पिळ्ळै ने पिळ्ळै लोकाचार्य की शरण ली, जो सम्पूर्ण भूलोक के एकमात्र पालनकर्ता माने जाने वाले श्री रंङ्गनाथ के निर्वाहक हैं- जिस प्रकार श्री भगवत गीता ७.१८ में दिव्य शब्दों में वर्णित किया गया है “ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्” (यह … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – तनियन (मंगलाचरण)

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: शृंखला वाऴि नलम् तिगऴ् नारणतादन् अरुळ्वाऴि अवन् अमुद वाय् मोऴिगळ् – वाऴियवेएऱु तिरुवुडैयान् एन्दै उलगारियन् सोल्तेऱु तिरुवुडैयान् सीर्। श्रेष्ठ नारायण तादर (विळाञ्जोलैप्पिळ्ळै) की कृपा सदा बनी रहे! उनकी अमृतमय वाणी अमर रहे! उनकी वह गुण सदा अमर रहें, जिससे उनके पास हमारे स्वामी, पिळ्ळै लोकाचार्य की … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै)

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: आर् वचनबूडनत्तिन् आऴ् पोरुळ् एल्लाम् अऱिवाऱ्*आरदु सोल् नेरिल् अनुट्टिप्पार् – ओर् ओरुवर्उण्डागिल्* अत्तनै काण् उळ्ळमे* एल्लार्क्कुम्अण्डाददन्ऱो अदु।। -उपदेश रत्नमाला ५५ जिस प्रकार मणवाळ मामुनिगळ् (श्रीवरवर मुनि स्वामीजी) ने उपदेश रत्नमाला में वर्णन किया है, हमारे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय में सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ पिळ्ळै लोकाचार्य द्वारा … Read more