अष्ट श्लोकी – श्लोक 7 – 8- चरम श्लोक
श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्ट श्लोकी << श्लोक 5 – 6 – द्वयमंत्र अंतिम 2 श्लोक, चरम श्लोक का वर्णन करते है, जो भगवान द्वारा कहा गया है । श्लोक 7 मत्प्राप्यर्थतया मयोक्तमखिलम संत्यज्य धर्मं पुन : मामेकं मदवाप्तये शरनमित्यार्तोवसायम कुरु । त्वामेवम व्यवसाययुक्तमखिलज्ञानादिपूर्णोह्यहं मत्प्राप्तिप्रतिबन्धकैर्विरहितम कुर्यां शुचं मा कृतः ।। अर्थ … Read more