उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ७३ और समापन
। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ७० – ७२ पासुरम् ७३ तिहत्तरवां पासुरम्। इस प्रबंध को सीखने पर प्राप्त लाभ दयापूर्वक बताते हुए श्रीवरवरमुनि स्वामी इसका समापन करते हैं। इन्द उपदेस रत्तिन मालै तन्नै सिन्दै तन्निल् नाळुम् सिन्दिप्पार् – ऎन्दै ऎतिरासर् इन्नरुळुक्कु ऎन्ऱुम् इलक्कागिच् चदिराग वाऴ्न्दिडुवर् … Read more