नाच्चियार् तिरुमोऴि – सरल व्याख्या – आठवां तिरुमोऴि – विण्णील मेलाप्पु
श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद् वरवरमुनये नमः श्री वानाचल महामुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि <<सातवां तिरुमोऴि इसके पूर्व के दशक में वह पाञ्चजन्य आऴ्वान् से भगवान श्रीमन्नारायण (एम्पेरुमान्) के अधरामृत के स्वरूप के विषय में पूछती है। उससे पूछताछ करने के पश्चात आण्डाळ् के हृदय का अनुभव भगवान तक पहुँच जाता है। उसी … Read more