तिरुप्पावै – सरल व्यख्या

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः मुदलायिरम् श्री मणवाळ मामुनिगळ् अपने उपदेश रत्त्नमालैः के २२ वे पाशुर में, बहुत ही सुन्दर ढंग से  देवी आण्डाळ् की महानता का वर्णन करते है। इन्ऱो तिरुवाडिप्पूरम् एमक्कागअन्ऱो इन्गु आण्डाळ् अवदरित्ताळ् – कुन्ऱादवाळ्वान वैगुन्द वान् बोगम् तन्नै इगळ्न्दुआळ्वार् तिरुमगळाराय् । क्या आज तिरुवाडिप्पूरम् … Read more

साट्रुमुरै (सात्तुमुरै ) – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: सर्व देश दशा कालेष्वव्याहत पराक्रमा | रामानुजार्य दिव्याज्ञा वर्धताम अभिवर्धताम || श्री भगवद रामानुज स्वामीजी के दिव्य आदेशों (विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त और श्रीवैष्णव संप्रदाय के सिद्धान्त) का उत्तम रूप में बिना किसी बाधा के सभी स्थानों और सभी समय में उन्नति हो। उनकी उन्नति हो।  रामानुजार्य … Read more