उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर १९ – २०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। ।

उपदेश रत्तिनमालै

<<पासुर १६ – १८

पासुर १९

उन्नीसवां पासुर। मामुनिगळ् सभी आऴ्वारों के अरुळिच्चेयल् (सभी दिव्य स्तोत्रों का संग्रह) में से तिरुप्पल्लाण्डु की महानता को उदाहरण सहित समझाते हैं।

कोदिलवाम् आऴ्वार्गळ् कूऱु कलैक्कॆल्लाम्
आदि तिरुप्पल्लाण्डु आनदवुम् – वेदत्तुक्कु
ओम् ऎन्नुम् अदु पोल् उळ्ळदुक्कु ऎल्लाम् सुरुक्काय्त्
तान् मंङ्गळम् आदलाल्

भगवान को अन्य मार्गों से प्राप्त करने के लिए प्रयास करने का दोष और साथ ही भगवान को शीघ्रता से प्राप्त करने का पूर्ण आग्रह न करने का दोष, आऴ्वारों में नहीं था। इन आऴ्वारों द्वारा करुणापूर्वक विरचित दिव्यप्रबंधों में भगवान के संबंधित विषयों के अलावा अन्य विषयों के बारे में बोलने का दोष नहीं था। इन दिव्यप्रबंधों में, भगवान के हित में केवल मङ्गलाशासन में ही स्थित होने के कारण, तिरुप्पल्लाण्डु को आऴ्वारों के दिव्यप्रबंधों में प्रमुख स्थान प्राप्त हुआ, जैसे, प्रणव (ओंकार) वेदों का तत्व है। 

पासुर २० 

बीसवां पासुर। वे आगे पेरियाऴ्वार् और उनके द्वारा विरचित दिव्यप्रबंध, तिरुप्पल्लाण्डु की अद्वितीयता का वर्णन करते हैं।

उण्डो तिरुप्पल्लाण्डुक्कु ऒप्पदोर् कलैदान्
उण्डो पॆरियाऴ्वार्क्कु ऒप्पॊरुवर् – तण् तमिऴ् नूल्
सॆय्दु अरुळुम् आऴ्वार्गळ् तम्मिल् अवर् सॆय् कलैयिल्
पैदल् नॆञ्जे नी उणर्न्दु पार्

हे बचकाने हृदय! उन आऴ्वारों का अच्छी तरह से विश्लेषण करो, जिन्होंने भगवान की निर्हेतुक कृपा से उनके दिव्यप्रबंधों की रचना की‌। क्या तिरुप्पल्लाण्डु से मेल खाने वाली कोई दिव्य रचना है? नहीं। तिरुप्पल्लाण्डु पूरी तरह से भगवान की दीर्घायु होने की कामना पर केंद्रित है। अन्य आऴ्वारों के दिव्यप्रबंध भगवान की दिव्यता का अनुभव करने में केंद्रित हैं। क्या कोई आऴ्वार् हैं जो पेरियाऴ्वार् से मेल खाते हैं? नहीं। पेरियाऴ्वार अपने आप को भगवान की सुंदरता आदि की प्रशंसा के गुणगान गाकर बनाए रखते हैं जबकि अन्य आऴ्वार् पूरी तरह से भगवान के दिव्य गुणों में संलग्न हैं।

अडियेन् दीपिका रामानुज दासी

आधार: https://divyaprabandham.koyil.org/index.php/2020/06/upadhesa-raththina-malai-19-20-simple/

संगृहीत- https://divyaprabandham.koyil.org

प्रमेय (लक्ष्य) – https://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org

Leave a Comment