स्तोत्र रत्नम – श्लोक 11 – 20 – सरल व्याख्या
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला << 1 – 10 श्लोक 11 – इस पासूर में परत्व लक्षण (सर्वोच्चता की पहचान) की व्याख्या की गई है। स्वाभाविकानवधिकातिषयेशितृत्वमनारायण त्वयि न मृष्यति वैदिक: क: | ब्रह्मा शिवश्शतमख परम: स्वराडितिएते’पि यस्य महिमार्णवविप्रुशस्थे || हे नारायण! ब्रह्मा, शिव, इंद्र और मुक्तात्मा, जो कर्म से … Read more