श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम:
तनियन १
तेन पयिलुम थारान एतिरासन सेवडी मेल *
तान परमपत्ति तलैयेडुथ्थु *
मानदर्क्कु उणवाग आर्तियुडन ओण्डमिळ्गळ सेईदान *
मणवाळ मामुनिवन वंदु *
शब्धार्थ :
मणवाळ मामुनिवन – पेरिय जीयर , जो मणवाळ मामुनिगळ नाम से भी जाने जाते हैं।
वंदु – इस संसार में अवतार किये
तान – इस अवतार के समय
परमपत्ति- भक्ति की सर्वश्रेष्ठ रूप
तलैयेडुथ्थु – के प्रति अनुग्रहित
थारान – मालाधार
पयिलुम- के संग बहता
तेन – मधु
एतिरासन – रामानुजाचार्य, जो एतिरासन के नाम से भी जाने जाते हैं।
सेवडी मेल- (मणवाळ मामुनिगळ) एतिरासन के चरण कमल के विषय में लिखें
सेईदान – “आर्ति प्रबंध” नामक ग्रंथ
ओण – अति सुंदर (परम भोग्य वस्तु )
तमिळ्गळ – द्राविड़ भाषा में(तमिळ में )
आर्तियुडन- उनके शोक दशा को देख , दया के कारण, हित मात्र , सुधारने के लिए
मानदर्क्कु – अज्ञानियों केलिए है यह ग्रंथ
उणवाग – उनके सोच के प्रति भोजन है।
सरल अनुवाद :
पेरिय जीयर नाम से भी पहचाने जाने वाले मणवाळ मामुनिगळ इस संसार में अवतार किये। इस समय, उनको स्वयं यतिराज, जो मधु बहने वाले मालाधारी हैं, के अनुग्रह से परम भक्ति प्राप्त हुई। मणवाळ मामुनि अत्यंत दिलचस्पी (आर्ति ) संग, यतिराज के चरण कमल के महत्वपूर्णता के बारे में सुंदर तमिळ में लिखें , और यहि आर्ति प्रबंध नाम से प्रसिद्ध है। यह ग्रंथ अज्ञानियों के लिए है और उनके ज्ञान के लिए भोजन के समान है।
तनियन २
वम्बविळ तार वण्मै मणवाळ मामुनिगळ *
अम्बुवियिल काल पोरुन्दा आर्तियिनाल * उम्बर तोळुम
विण्णुलगिल चेल्ल विरैन्दु एतिरासन पदम्गळ
नण्णि उरैत्तार नमक्कु
शब्धार्थ :
मणवाळ मामुनिगळ – पेरिय जीयर , जो मणवाळ मामुनिगळ नाम से भी जाने जाते हैं।
उरैत्तार – आशीर्वाद के रूप में दिए
नमक्कु – हमें (आर्ति प्रबंध नामक के ग्रंथ से )
वण्मै – अत्यंत औदार्य प्रकट होते हैं
तार – सुंदर फूलों के माला से अलंकृत
वम्बविळ – उस क्षण में खिले फूल
आर्तियिनाल – (मणवाळ मामुनिगळ ) यह एहसास होने पर शोक में, कि
काल – उनके दिव्य चरण कमल
पोरुन्दा – अनुचित इस
अम – सुंदर
पुवियिल – संसार, इस कारण
विरैन्द – शीघ्र करने के प्रयत्न किये
चेल्ल – आरोहण
विण्णुलगिल – परमपद (श्रीमन नारायण के नित्य वास, जो सर्वश्रेष्ठ है )
तोळुम – पूज्नीय है
उम्बर – नित्य सूरियों से (श्रीमन नारायण के नित्य दास )
नण्णि – यह संभव था दृढ़ और अटल विश्वास
पदम्गळ – चरण कमल
एतिरासन – एतिरासन के
सरल अनुवाद :
नव, मुकुल फूलों के माला धारित मणवाळ मामुनिगळ ने आर्ति प्रबंध नामक ग्रंथ से हमें आशीर्वाद किए। अपने चरण कमल को इस संसार की अनुचित मान वे नित्य सूरियों से पूज्नीय परमपद पधारने केलिए उताव्ले हुए। एम्बेरुमानार के आशीर्वाद के कारण ही मणवाळ मामुनिगळ को यह संभव हुआ।
– अडियेन प्रीती रामानुज दासि
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