अमलनादिपिरान् – सरल व्याख्या

।।श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। मुदलायीरम् श्री मणवाळ मामुनिगळ् स्वामीजी ने अपनी उपदेश रत्नमालै के दसवें पाशुर में अमलनादिपिरान् की महत्ता को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत वर्णित किया है। कार्त्तिगैयिल् रोहिणि नाळ् काण्मिनिन्ऱु कासियिनीर्वाय्त्त पुगळ्प् पाणर् वन्दु उदिप्पाल् – आत्तियर्गळ्अन्बुडने तान् अमलन् आदिपिरान् कऱ्ऱदऱ् पिन्नन्गुडने कोण्डाडुम् नाळ्। अरे … Read more