स्तोत्र रत्नम – श्लोक 1 – 10 – सरल व्याख्या
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः पूरी श्रृंखला <<तनियन् श्लोक 1 – इस प्रथम श्लोक में श्री आळवन्दार् स्वामीजी, श्रीनाथमुनी स्वामीजी के ज्ञान और वैराग्य रूपी यथार्थ संपत्ति का वंदन करते है। नमो’चिंत्याद्भुधाक्लिष्ट ज्ञान वैराग्यराश्ये |नाथाय मुनये’गाधभगवद् भक्तिसिंधवे || मैं श्रीनाथमुनि स्वामीजी को नमस्कार करता हूं, जो बुद्धि से परे अद्भुत ज्ञान … Read more