श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम:
पासुरम ४०
अवत्ते पोळुदाई अडियेन कळित्तु
इप्पवत्ते इरुक्कुम अदु पणबो ?
तिवत्ते यान सेरुम वगै अरुळाय सीरार ऐतिरासा
पोरुम इनि इव्वुडंबै पोक्कु
शब्दार्थ
अडियेन – मैं, श्री रामानुज के नित्य दास
अवत्ते कळित्तु – ऐसे ही व्यर्थ किए
पोळुदाई – वे सुनहरे पल जो श्री रामानुज के चरण कमलों में कैंकर्य करके बिताए जा सकते थे
पणबो? – (हे श्री रामानुज!) क्या आपके गुणों और कीर्ति के लायक होगा?
इरुक्कुम अदु – अगर मैं रहूँ
इप्पवत्ते – यह सँसार (जो आपके प्रति कैंकर्य केलिए) शत्रु हैं
सीरार ऐतिरासा – हे यतिराजा ! शुभ गुणों से भरें
पोक्कु – नाश कीजिये
इनि इव्वुडंबै – यह शरीर और
अरुळाय – कृपया आशीर्वाद करें
यान – मुझें
सेरुम वगै – पहुँचे की मार्ग के संग
तिवत्ते – परमपदं
पोरुम – “सँसार” नामक इस कारागार में रहना काफि है
सरल अनुवाद
अपने स्वामि श्री रामानुज के कैंकर्य में न लगाए हुए व्यर्थ किये गए समय के लिए मामुनि अपना शोक प्रकट करतें हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि वे इस शरीर में इस साँसारिक लोक में लम्बे समय से हैं और श्री रामानुज से प्रार्थना करतें हैं कि वे इस शरीर को काटकर फैंक क्यों नहीं देते? मामुनि के मानना हैं कि इससे वे परमपद पहुँच पाएँगे, जिसके केलिए वे सदा तरस्ते हैं, और वहाँ श्री रामानुज के प्रति नित्य कैंकर्य कर पायेँगे।
स्पष्टीकरण
मामुनि प्रस्ताव करतें करतें हैं, “ हे श्री रामानुज! आपकी सेवा लिए ही मेरा जन्म हुआ है। किन्तु जो सुनहरे पल आपके प्रति कैंकर्य में बीते जा सकते थे, वे मैंने व्यर्थ किये। मैं अभी भी इस सँसार में डूबा हुआ हूँ। परन्तु इस सँसार में मेरा नित्य वास आपके कृपा के विरुद्ध है। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे परमपद की मार्ग दिखा कर आशीर्वाद करें, जहाँ आपके प्रति कैंकर्य कि मौकाये, अनेकों हैं। “परंदामम एन्नुम तिवं” से वर्णित इस जगह पहुँचने केलिए मैं अत्यंत बेचैन हूँ। हे रामानुज, यतियों के नेता, शुभ गुणों से भरपूर आपसे प्रार्थना हैं कि आप इस सँसार में मेरा रहना रोखे। अज्ञान का मूल तथा आपके प्रति नित्य कैंकर्य का हानि जो यह शरीर, इस आत्मा के संग इस लोक में जीवित है, इसको नाश करने केलिए आपसे प्रार्थना है। आपके प्रति नित्य कैंकर्य ही सर्व श्रेष्ट लक्ष्य है और आपसे विनती है की आप मुझे वह आशीर्वाद करें।” इस पासुरम को इस प्रकार भी देखा जा सकता है : “अडियेन इप्पवत्ते इरुक्कुम अदु पणबो ?” इसका अर्थ यह होगा की मामुनि श्री रामानुज से पूछ रहे है की, क्या मेरा इस सँसार में रहना स्वाभाविक है ?
अडियेन प्रीती रामानुज दासी
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