आर्ति प्रबंधं – ३
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पासुर २ उपक्षेप पहले दो पासुरों में, मणवाळ मामुनि श्री रामानुज के महानता का विवरण किये। इस पासुर से मामुनि अपने आर्ति को प्रकट करना प्रारंभ करते हैं। विशेषरूप से इस पासुरम में वे श्री रामानुज को अपने एकमात्र , सर्व सम्बंधी मानते हैं। परंतु … Read more