स्तोत्र रत्नम – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त और श्रीवैष्णव संप्रदाय के महान विचारक और परम आदरणीय श्रीनाथमुनी स्वामीजी के पौत्र, श्री आळवन्दार् ने अति आवश्यक सिद्धान्त अर्थात प्राप्य और प्रापकम को दिव्य द्वय महामंत्र के विस्तृत व्याख्यान द्वारा अपने स्तोत्र रत्न में दर्शाया है। हमारे पूर्वचार्यों से प्राप्त संस्कृत ग्रन्थों में … Read more

रामानुस नूट्रन्ददि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुर 21 से 30

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या << पाशुर 11 से 20 पाशूर २१: श्रीरामानुज स्वामीजी श्रीमत् यामुनाचार्य स्वामीजी के उभयपादों को उपाय मानकर प्राप्त कर, मेरा रक्षण कर दिया। अत: अब मैं उन नीच जनों की स्तुति नहीं करूंगा।   निदियैप् पोळियुम् मुगिल् एन्ऱु … Read more

रामानुस नूट्रन्ददि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुर 11 से 20

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या << पाशुर 1 से 10 पाशूर ११: श्रीरंगामृत स्वामीजी कहते हैं कि जिन्होंने श्रीरामानुज स्वामीजी (जो श्रीयोगीवाहन स्वामीजी के दिव्य चरणों को अपने सरपर पहनते थे) की  शरण लिए हैं वें उनके महानता की  विषय पर अधिक नहीं … Read more

रामानुस नूट्रन्ददि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुर 1 से 10

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या तनियन् पाशूर १: श्रीरंगामृत स्वामीजी अपने हृदय को आमंत्रित करते हैं “हम सब श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य नामों का स्मरण करें ताकि हम उनके दिव्य पादारविन्दों में कुशलतापूर्वक रह सके।” पू मन्नु मादु पोरुन्दिय मार्बन् पुगळ् मलिन्द पा … Read more

रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – तनियन

रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: मुन्नै विनैयगल  मूंगिल्  कुडियमुदन्पोन्नम् कळर्क्कमलप्  पोदिरण्डुम्एन्नुडैय सेन्निक्कणियागच् चेर्तिनेन् तेन्पुलत्तार्क्कु एन्नुक् कडवुडैयेन् यान् दास कहते हैं, मैंने श्रीरंगामृत स्वामीजी (जिन्होंने मूंगिल कुड़ी  {श्रेष्ठ कुल} वंश में जन्म लिया) के स्वर्ण जैसे दिव्य और  वांछनीय चरण कमलों को अपने मस्तक पर … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर २१-३०

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १६ – २० इस पाशुर से देवी यह अनुभव करवा रही है कि , भगवान् कृष्ण के प्रेम में मग्नता के, आनंद का अनुभव प्राप्त करने, नप्पिन्नै  पिराट्टी भी देवी के व्रतनुष्ठान में सम्मिलित हो जाती है । इक्कीसवाँ पाशुर : इस … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर १६ से २०

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर ६ – १५ इस सोलहवे पाशुर  में देवी आन्डाळ् नित्यसुरियों के लौकिक प्रतिनिधियों, जैसे क्षेत्रपाल द्वारपाल, आदिशेष आदि… को जगा रही है। सोलहवाँ पाशुर: इस सोलहवे पाशुर में देवी नन्दगोप के महल और नन्दगोप के कमरे के द्वारपाल को जगा रही है। … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – पाशुर ६ – १५

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १ से ५ अब पाशुर छः – से पन्द्रह तक, आण्डाळ् नाच्चियार् उन १० ग्वालिनों को जगाती है, जो गोकुल की सारी ५००००० ग्वालिनों का प्रतिनिधित्व करती हुयी बतलाया है। इन पाशुरों को कुछ इस व्यवस्थित ढंग व  ऐसे भावों से युक्त … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – पाशुर १ से ५

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः तिरुप्पावै << तनियन् पहला पाशुर: एम्पेरुमान और ग्वालिनों के गुणानुगान का समय : एम्पेरुमान उपाय और उपेय दोनों ही है, आण्डाळ् ने निश्चय कर लिया कि कृष्णानुभव के लिये, वह मार्गळि नोन्बु (( जो तमिल माह मार्गळि में रखे जाने वाली धार्मिक व्रतानुष्ठान)  … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – तनियन्

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः तिरुप्पावै नीळा तुङ्ग स्तनगिरि तटीसुप्तम् उद्बोद्य कृश्णम् पारार्त्यम् स्वम् श्रुति शत शिरस् सिद्दम् अद्यापयन्ती स्वोच्चिश्टायाम् स्रजि निगळितम् या बलात् क्रुत्य भुन्ग्ते गोदा तस्यै नम इदम् इदम् भूय एवास्तु भूय:। भगवान श्रीकृष्ण ,नैप्पीनै पिराट्टि (जो भगवान श्रीमन् नारायण् की एक सहचरी नीळा देवी की … Read more