तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर २१-३०
।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १६ – २० इस पाशुर से देवी यह अनुभव करवा रही है कि , भगवान् कृष्ण के प्रेम में मग्नता के, आनंद का अनुभव प्राप्त करने, नप्पिन्नै पिराट्टी भी देवी के व्रतनुष्ठान में सम्मिलित हो जाती है । इक्कीसवाँ पाशुर : इस … Read more