श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम:
उपक्षेप
मामुनि कहतें हैं कि, श्री रामानुज के असीमित कृपा के कारण उन्हें (मामुनि को) अपने व्यर्थ हुए काल कि अफ़सोस करने का मौका मिला। आगे इस पासुरम में वें ,श्री रामानुज के कृपा की फल के रूप में ,पेरिय पेरुमाळ अपने तरफ पधारने कि अवसर को मनातें हैं। “श्रीमान समारूदपदंगराज:” वचनानुसार पेरिय पेरुमाळ के अपने ओर पधारने कि अवसर कि विवरण देतें हैं।
पासुरम ५२
कनक गिरि मेल करिय मुगिल पोल
विनतै सिरुवन मेरकोंडु
तनुविडुम पोदु एरार अरंगर एतिरासरक्काग एनपाल
वारा मुन्निर्पर मगिळंदु
शब्दार्थ
करिय मुगिल पोल – बादलों के जैसे , जो मँडराते हैं
कनक गिरि मेल – “मेरु” नामक सुनहरे पर्वत के ऊपर
अरंगर – पेरिय पेरुमाळ
सिरुवन – “वैनतेयन” तथा “पेरिय तिरुवडि” नामों से प्रसिद्द जो हैं उन्के ऊपर आने वाले , जो पुत्र हैं
विनतै – विनता के
मेरकोंडु – विनतै सिरुवन वाहन होने के कारण पेरिय पेरुमाळ उनमें सवार होकर आएँगे
तनुविडुम पोदु – जब मेरा शरीर गिरेगा
अरंगर – पेरिय पेरुमाळ जो हैं
आर – भरपूर
येर – सौँदर्य तथा गुणों से
एनपाल वारा – आएँगे मेरे जगह
एतिरासरक्काग – यतिराज केलिए
(जैसे एक माँ आती हैं)
मुन्निर्पर – वें मेरे सामने खड़े होँगे
मगिळंदु – अत्यधिक ख़ुशी के सात
(पेरिय पेरुमाळ पधारेंगे, अपना दिव्य चेहरा दिखाएँगे, मुस्कुरायेंगे और मुझे भोग्य रूप से अनुभव करेंगे, यह निश्चित है )
सरल अनुवाद
इस पासुरम में, मामुनि अपने अंतिम स्थिति में पेरिय पेरुमाळ के पधारने कि सुन्दर दृश्य की विवरण देकर, ख़ुशी मनातें हैं। वे कहतें हैं कि पेरुमाळ, “विनतै सिरुवन”, “पेरिय तिरुवडि” एवं नामों से प्रसिद्द अपने वाहन में पधारेँगे। मेरे पास आकर वें मुस्कराहट से अलंकृत अपने सुँदर दिव्य मुख दिखाएँगे। और यह सब वें एम्पेरुमानार केलिए करेँगे।
स्पष्टीकरण
मामुनि कहतें हैं, “काँचनस्प गिरेस् श्रुंघे सगटित्तो यधोयधा” और “मंजुयर पोनमलै मेल एळुंद मामुगिल पोनड्रुलर (पेरिय तिरुमोळि ९.२.८) वाख्यो के जैसे सुनहरे पर्वत “मेरु” के ऊपर काले बरसात के मेघ मँडराते हैं। उसी प्रकार मेरे इस पृथ्वी के बंधनों से विमुक्त होने के समय पर, “पेरुम पव्वम मँडियुन्ड वयिट्र करुमुगिल” (तिरुनेडुंताँडगम २४) में चित्रित किये गए उस रूप में पेरिय पेरुमाळ गरुड़ में सवार पधारेंगे। विनता के पुत्र होने के कारण गरुड़ “पेरिय तिरुवडि” तथा “विनतै सिरुवन” भी कहलातें हैं। मेरे इस शरीर से निकलने के समय, पेरिय पेरुमाळ एक माता के समान प्रेम के संग आएँगे।। सौंदर्य से भरपूर भगवान्, संतोष ,अपने दिव्य मुख में मुस्कराहट के संग, मेरे यहाँ, श्री रामानुज केलिए आएँगे। यह निश्चित हैं।
अडियेन प्रीती रामानुज दासी
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