रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या
श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम:
मुन्नै विनैयगल मूंगिल् कुडियमुदन्
पोन्नम् कळर्क्कमलप् पोदिरण्डुम्
एन्नुडैय सेन्निक्कणियागच् चेर्तिनेन् तेन्पुलत्तार्क्कु
एन्नुक् कडवुडैयेन् यान्
दास कहते हैं, मैंने श्रीरंगामृत स्वामीजी (जिन्होंने मूंगिल कुड़ी {श्रेष्ठ कुल} वंश में जन्म लिया) के स्वर्ण जैसे दिव्य और वांछनीय चरण कमलों को अपने मस्तक पर सजावटी आभूषण जैसे रखा ताकि समय समय पर जितने भी पाप मैंने इकट्ठा किये हैं वह लुप्त हो जायेँ। यह करने के पश्चात यमराज और उनके अनुयायी से किसी भी तरह मेरा सम्बन्ध न रहेगा।
नयन्तरु पेरिन्बम् एल्लाम् पळुतु एन्रु नण्णिनर् पाल्
सयम् तरु कीर्ति इरामानुस मुनि ताळिणै मेल्
उयर्न्द गुणत्तुत् तिरुवरंगत्तु अमुदु ओन्गुम् अन्बाल्
इयम्बुम् कलित्तुरैयन्दादि योद विशै नेञ्जमे
श्रीरामानुज स्वामीजी वह हैं जो अपना आशिर्वादसे , जो यह समझने के पश्चात कि, इस संसार का सुख तुच्छ है, उनके शरण में आता है, उन्हें संसार पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करतें हैं । हे हृदय! इस प्रबन्धम को गाने को स्वीकारों जो बड़ी कृपा और उबरते प्रेम से श्रीरंगामृत स्वामीजी जिनमें बड़े गुण हैं, द्वारा श्रीरामानुज स्वामीजी के दिव्य चरणों पर प्रेम से रचा गया है। यह प्रबंध तमिल के “कलित्तुरै अंधादि” (तमिल पध्य जिसका पिछले पाशूर का अंतिम शब्द अगले पाशूर का प्रथम शब्द होता है।) शैली में है।
सोल्लिन् तोहै कोण्डु उनदु अडिप्पोदुक्कुत् तोन्डु सेय्युम्
नल्लन्बर् एत्तुम् उन् नामम् एल्लाम् एन्तन् नाविनुळ्ळे
अल्लुम् पहलुम् अमरुम्पडि नल्गु अऱुसमयम्
वेल्लुम् परम इरामानुस ! इदु एन् विण्णप्पमे
आपके भक्त वह है जो यह निश्चित करते हैं कि वें कुछ विशेष पाशुरों का हीं उच्चारण करेंगे और आपके श्रीचरणों में वाचीका कैंकर्य (प्राध्यापक की भाषा से सेवा) कर और उससे लाभ लेंगे। आप अपनी कृपा मुझ (पर बरसाते रहना ताकि सभी दिव्य नाम जो वें आपकी ओर बड़े प्रेम से ,दिन और रात में भेद देखे बिना सुनाते हैं वह मेरे जिव्हा पर नित्य वास करें। ६ भिन्न भिन्न दर्शनशास्त्र का अभ्यास रखनेवाले, जिसमे, वें जो वेदों में विश्वास नहीं करते थे और वें जो वेदों के विषय में गलत स्पष्टीकरण देते थे, ऐसे दोनों पर विजय प्राप्त करनेवाले आप श्रीरामानुज हैं। यही मेरी आपसे प्रार्थना हैं।
अगले लेख में इस प्रबन्धम के अगले भाग पर चर्चा करेंगे।
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अडियेन् केशव् रामानुज दास्
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