सप्त गाथा (सप्त कादै) – अवतारिका (परिचय) – भाग २
श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<अवतारिका (परिचय) – भाग १ पहले भाग से आगे बढ़ते हुए अपनी अपार करुणा से, विळान्जोलैप् पिळ्ळै ने अपने अलौकिक हृदय में नम्माळ्वार के तिरुवाय्मोळि का सार है और परम रहस्य विषय- श्रीवचन भूषण दिव्य शास्त्र के गूढ़ अर्थों की भिन्न रुप में … Read more