तिरुवाय्मोऴि नूट्रन्तादि (नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या– पाशुरम १ – १०

।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। श्रुंखला <<तनियन् पहला पाशुरम : (उयर्वे परन् पडि…) यहाँ, श्रीवरवरमुनि स्वामीजी आऴ्वार् के दिव्य शब्दों का अर्थसमझा रहे हैं , अर्थात तिरुवाय्मोऴि का यह पहला दशक, जो एम्पेरुमान की सर्वोच्चता को प्रकट करता है और जोनिर्देश देता है कि “परमेश्वर के दिव्य चरणों का आश्रय … Read more

सप्त गाथा (सप्त कादै) – तनियन (मंगलाचरण)

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: शृंखला वाऴि नलम् तिगऴ् नारणतादन् अरुळ्वाऴि अवन् अमुद वाय् मोऴिगळ् – वाऴियवेएऱु तिरुवुडैयान् एन्दै उलगारियन् सोल्तेऱु तिरुवुडैयान् सीर्। श्रेष्ठ नारायण तादर (विळाञ्जोलैप्पिळ्ळै) की कृपा सदा बनी रहे! उनकी अमृतमय वाणी अमर रहे! उनकी वह गुण सदा अमर रहें, जिससे उनके पास हमारे स्वामी, पिळ्ळै लोकाचार्य की … Read more