नाच्चियार् तिरुमोऴि – सरल व्याख्या
श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः मुदलायिरम् श्रीवरवरमुनि स्वामीजी ने श्रीगोदाजी की महानता को उपदेस रत्तिन मालै ग्रन्थ के २४ वे पाशुर मे सुन्दर्तापूर्वक उल्लेखित करते हैं। अञ्जु कुडिक्कु ओरु चन्ददियाय् आऴ्वार्गळ्तम् चेयलै विञ्जि निऱ्कुम तन्मैयळाय्- पिञ्जाय्प्पऴुत्ताळै आण्डाळैप् पत्तियुडन् नाळुम्वऴुत्ताय् मनमे मगिऴ्न्दु आऴ्वारों के कुल में श्रीगोदाजी (आण्डाळ्) एक ही उत्तराधिकारी बनकर अवतरित हुईं। … Read more