आर्ति प्रबंधं – ११
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पासुर १० उपक्षेप इस पासुरम में, मणवाळ मामुनि के कल्पना में श्री रामानुज उनसे एक प्रश्न करते हैं। “हे ! मणवाळ मामुनि ! आप “निळळुम अडित्तारुमानोम (पेरिय तिरुवन्दादि ३१ ), “मेविनेन अवन पोन्नडि (कण्णिनुन चिरुत्ताम्बु २) और “रामानुज पदच्छाया” (एम्बार के तनियन ) वचनों … Read more