श्री देवराज अष्टकम् – तनियन

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: श्री देवराज अष्टकम् श्रीमत कांची मुनिं वन्दे कमलापति नन्दनं | वरदान्घ्री सदा संग रसायन परायणं || Listen मैं श्रीकांचिपूर्ण स्वामीजी, श्रीकमलापतिजी के पुत्र को प्रणाम करता हूँ, जो श्रीवरदराज के प्रति अनवरत भक्ति रसायन के आश्रित है। देवराज दया पात्रं श्री कांची पूर्णं उत्तमं | रामानुज मुनेर मान्यं … Read more

श्री देवराज अष्टकम्

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: पेरुन्देवित् तायार, देव पेरुमाल (श्रीवरदराज भगवान) उभय नाच्चियार के साथ – कांचीपुरम श्री कांचिपूर्ण स्वामीजी– कांचीपुरम Audio e-book: http://1drv.ms/1ZV4dqh श्री कांचिपूर्ण स्वामीजी ने कृपा करके श्री देवराज अष्टकम् (8 श्लोक) नामक एक सुंदर संस्कृत स्तोत्र प्रबंध की रचना की जो पेरुन्देवित् तायार के स्वामी देव पेरुमाल (श्रीवरदराज भगवान) … Read more

चतुः श्लोकी – श्लोक

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः चतुः श्लोकी तनियन श्लोक १ कान्तस्ते पुरुषोत्तम: पणिपति: शय्यासनम् वाहनं वेदात्मा विहगेश्वरो यवनिका माया जगन्मोहिनी | ब्रह्मेशादीसुरव्रज: सदयित: त्वद्दासदासीगण: स्रिरित्येवच नाम ते भगवति ब्रूम: कथं त्वाम वयम || Listen अनुवाद हे भगवति ! हम आपकी प्रसंशा कैसे करें ? पुरुषों में श्रेष्ठ , पुरुषोत्तम नारायण आपके … Read more

प्रमेय सारं

श्रीः श्रीमते शटकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनय् नमः मूल व्याख्यान: श्री वरवरमुनी स्वामीजी, तमिल अनुवाद: श्री उ. वे. वी. के. श्रीनिवासाचारी स्वामीजी. e-book: https://1drv.ms/b/s!AiNzc-LF3uwygwzixn4PT17uANyK  श्री देवराज मुनि स्वामिजि – श्रीविल्लिपुत्तूर् श्री वरवरमुनि स्वामिजि – तोताद्रि यह श्री देवराजमुनी स्वामीजी के ज्ञानसारम्-प्रमेयसारम् पर आधारित श्री वरवरमुनी स्वामीजी के व्याख्यान का हिन्दी भाषांतर है जो तमिल … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ४०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९  पाशुर ४०: अल्लि मलर पावैक्कन्बर अडिक्कन्बर सोल्लुम अविडु सुरुदियाम – नल्ल पड़ियाम मनु नूर कवर सरिदै पार्वै सेडियार विनैत तोगैक्कुत ती प्रस्तावना: “आचार्य भक्ति” और “भक्तों के भक्त” के विचार को पिछले कई पाशुरों में विस्तार से बताया … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३८                                                            ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ४० पाशुर-३९   अलगै मुलै सुवैत्तार्क्कु अंबर अडिक्कन्बर तिलदम एनत तिरिवार तम्मै – उलगर पलि तूट्रिल तुदियागुम तूटादवर इवरै पोट्रिल अदु पुन्मैये याम प्रस्तावना: पिछले पाशुर में आचार्य कि महिमा के बारे में विस्तार से … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३७                                                             ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९ पाशुर-३८ तेनार कमलत् तिरुमामगल कोलुनन ताने गुरुवागित तन अरूलाल – मानिडर्क्का इन्निलत्ते तो न्रु दलाल यार्क्कुम अवन तालिणैयै उन्नुवदे साल उरुम प्रस्तावना: “आचार्य कि कीर्ति और महत्व” का मनोभाव २६वें पाशुर (तप्पिल गुरू … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३६                                                             ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३८ पाशुर-३७ पोरूलुम उयिरूम उडम्बुम पुगलुम तेरूलुम गुणमुम सेयलुम – अरुल पुरिन्द तन आरियन पोरूट्टाच सङ्गर पम सेय्बवर नेञ्जु एन्नालुम मालुक्किडम प्रस्तावना: इस पाशुर में श्री देवराजमुनि स्वामीजी यह कहते हैं कि भगवान श्रीमन्नारायण … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३६

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३५                                                             ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३७ पाशुर-३६ विल्लार मणि कोलिक्कुम वेंकटा पोर कुंरु मुदल सोल्लार पोलिल सूल तिरुप्पदिगल – एल्लाम मरुलाम इरूलोड मत्तगत्तुत तन ताल अरूलालै वैत्त अवर प्रस्तावना: एक शिष्य जो अपने आचार्य के शरण हो गया उसके … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३५

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३४                                                             ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३६ पाशुर-३५: एन्रुम अनैत्तुयिर्क्कुम ईरञ्सेय नारणनुम अन्रुम तन आरियन पाल अन्बोलियिल – निन्र पुनल पिरिन्द पङ्गयत्तैप पोङ्गु सुडर वेय्योन अनल उमिलन्दु तान उलर्त्तियट्रु प्रस्तावना: आखरि दो पाशुर में स्वामीजी श्री देवराज मुनि लोगों … Read more