शरणागति गद्य – चूर्णिका 2 , 3 और 4

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नम: शरणागति गद्य << चूर्णिका 1 श्रीरंगनाच्चियार (पेरिय पिराट्टीयार) – श्रीरंगम श्रीरामानुज स्वामीजी – श्रीरंगम चूर्णिका 2: अवतारिका (भूमिका) प्रथम चूर्णिका में, श्रीरामानुज स्वामीजी ने सर्वप्रथम श्रीजी द्वारा आश्रय प्रदान करने के सामर्थ्य और कही और आश्रय न पाने की स्वयं की असमर्थता को दर्शाया; तदन्तर वे … Read more

शरणागति गद्य- चूर्णिका 1

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः शरणागति गद्य <<< परिचय खंड अवतारिका (भूमिका) इस चूर्णिका को द्वयमंत्र के वर्णन के रूप में जाना जाता है। यह सर्वविदित है कि एकमात्र भगवान श्रीमन्नारायण ही सभी फल प्रदान करने वाले हैं, (“सकल फलप्रदो ही विष्णु” – विष्णु धर्म), तब सर्वप्रथम पिराट्टी (श्रीमहालक्ष्मीजी) के श्रीचरणों … Read more

शरणागति गद्य – प्रवेश (परिचय खंड)

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः शरणागति गद्य << तनियन श्रीनम्पेरुमाल और श्रीरंगनाच्चियार – श्रीरंगम श्रीपेरियवाच्चान पिल्लै के व्याख्यान का मुख्य आकर्षण श्रीरामानुज स्वामीजी ने अपने प्रबंध श्रीभाष्य में मोक्ष (संसार से मुक्ति) प्राप्ति के लिए भक्ति योग की व्याख्या की है। श्रीभाष्य की रचना, कुदृष्टियों (वह जो वेदों का गलत अर्थ करते हैं) … Read more

शरणागति गद्य- तनियन

श्री:  श्रीमते शठकोपाय नमः  श्रीमते रामानुजाय नमः  श्रीमद्वरवरमुनये नमः शरणागति गद्य श्रीरामानुज स्वामीजी – श्रीपेरियवाच्चान पिल्लै श्रीपेरियवाच्चान पिल्लै की तनियन (उनके अद्भुत व्याख्यान के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित करने के लिए यह तनियन प्रस्तुत की गयी है) – श्रीमत कृष्ण समाह्वाय नमो यामुन शूनवे| यत कटाक्षैक लक्ष्याणम् सुलभ: श्रीधरस्सदा || अर्थात: मैं श्रीपेरियवाच्चान पिल्लै स्वामीजी के … Read more

शरणागति गद्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः भगवद श्रीरामानुज स्वामीजी ने नौ उत्कृष्ट ग्रंथों की रचना की– श्रीभाष्य, वेदांत सारम, वेदांत दीपम, वेदार्थ संग्रहम, गीता भाष्यम, नित्य ग्रंथ, शरणागति गद्यम, श्रीरंग गद्यम और श्रीवैकुंठ गद्यम। प्रथम तीन ग्रंथ, ब्रह्म सूत्र से सम्बंधित है, चतुर्थ ग्रंथ, वेदांत के कुछ विशिष्ट छंदों से संबंधित है, … Read more

अष्ट श्लोकी – श्लोक 7 – 8- चरम श्लोक

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्ट श्लोकी << श्लोक 5 – 6 – द्वयमंत्र अंतिम 2 श्लोक, चरम श्लोक का वर्णन करते है, जो भगवान द्वारा कहा गया है । श्लोक 7 मत्प्राप्यर्थतया मयोक्तमखिलम संत्यज्य धर्मं पुन : मामेकं मदवाप्तये शरनमित्यार्तोवसायम कुरु । त्वामेवम व्यवसाययुक्तमखिलज्ञानादिपूर्णोह्यहं मत्प्राप्तिप्रतिबन्धकैर्विरहितम कुर्यां शुचं मा कृतः ।। अर्थ … Read more

अष्ट श्लोकी – श्लोक 5 – 6 – द्वयमंत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी << श्लोक 1- 4 – तिरुमंत्र श्लोक 5 नेतृत्वं नित्ययोगं समुचितगुणजातं तनुख्यापनम् च उपायं कर्तव्यभागं त्वत् मिथुनपरम् प्राप्यमेवम् प्रसिद्धं । स्वामित्वं प्रार्थनां च प्रबलतरविरोधिप्रहाणम दशैतान मंतारम त्रायते चेत्यधिगति निगम: षट्पदोयम् द्विखण्ड: ।। अर्थ यह श्लोक, मंत्रो में रत्न, द्वय महामंत्र का विवरण प्रदान करता है। द्वय … Read more

अष्ट श्लोकी – श्लोक 1 – 4 – तिरुमंत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी << तनियन नारायण ऋषि , नर ऋषि को तिरुमंत्र का उपदेश प्रदान करते हुए (दोनों ही श्रीमन्नारायण भगवान के अवतार है) श्लोक 1 अकारार्थो विष्णुः जगदुध्यरक्षा प्रळयकृत मकारार्थो जीव: तदुपकरणम् वैष्णवमिदम । उकारो अनन्यार्हम नियमयति संबंधमनयो: त्रयी सारस्त्रयात्मा प्रणव इमामर्थम् समधिष्ठ ।। अर्थ सृष्टी, स्थिति … Read more

अष्ट श्लोकी – तनियन

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी श्रीकुरेश स्वामीजी और श्रीपराशर भट्टर – श्रीरंगम श्री पराशर भट्टार्य श्रीरंगेश पुरोहित: । श्रीवत्सांग सुत : श्रीमान् श्रेयसे मेस्तु भुयसे ।। श्री रंगनाथ भगवान के पुरोहित और श्रीवत्सांग (श्रीकुरेश स्वामीजी) के पुत्र, श्रीपराशर भट्टर जो दिव्य गुण संपत्ति से परिपूर्ण है, वे मुझे श्रेय प्रदान … Read more

अष्ट श्लोकी

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: श्रीपराशर भट्टर रहस्य त्रय के गहरे अर्थों को प्रकाशित करने के लिए श्री पराशर भट्टर ने अत्यंत कृपापूर्वक अष्ट श्लोकी नामक स्तोत्रमाला की संस्कृत में रचना की। यह रहस्य त्रय को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करने वाला पहला प्रबंध है। न्याय वेदांत विद्वान् दामल वंकीपुरम श्री … Read more