उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २५ -२६
। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २३ – २४ पासुरम् २५ पच्चीसवां पासुरम्। मामुनिगळ् मधुरकवि की महिमा को दो पासुरों में प्रकट करते हैं। इस पासुर में वे अपने हृदय से कहते हैं कि, चित्तिरै (चैत्र) महीने के चित्तिरै (चित्रा) नक्षत्र के दिन, मधुरकवि आऴ्वार् का … Read more