ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) २ ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ४ पाशूर ३ आनै इदर कड़िन्द अलियाङ्कै अंबुयथ्थाल कोने विदिल नीरिल कुतिथेलुन्द मीन एनवे अक्कै मुदियूम पड़ी पिरतल अन्नवन थाल नीक्कमिला अन्बर निलै अर्थ विदिल: अगर कोई उनसे अलग हो जाता है, … Read more