रामानुस नूट्रन्ददि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुर 41 से 50
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या << पाशुर 31 से 40 पाशूर ४१: श्रीरंगामृत स्वामीजी कहते हैं इस संसार को जिसे भगवान नहीं सुधार सके, उसे श्रीरामानुज स्वामीजी के अवतार ने सुधार दिया। मण्मिसै योनिगळ् तोऱुम् पिऱन्दु एन्गळ् मादवनेकण् उऱ निऱ्किलुम् काणगिल्ला उलगोर्गळ् एल्लाम्अण्णल् … Read more