तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर १६ से २०

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर ६ – १५ इस सोलहवे पाशुर  में देवी आन्डाळ् नित्यसुरियों के लौकिक प्रतिनिधियों, जैसे क्षेत्रपाल द्वारपाल, आदिशेष आदि… को जगा रही है। सोलहवाँ पाशुर: इस सोलहवे पाशुर में देवी नन्दगोप के महल और नन्दगोप के कमरे के द्वारपाल को जगा रही है। … Read more