तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – पाशुर ६ – १५
।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १ से ५ अब पाशुर छः – से पन्द्रह तक, आण्डाळ् नाच्चियार् उन १० ग्वालिनों को जगाती है, जो गोकुल की सारी ५००००० ग्वालिनों का प्रतिनिधित्व करती हुयी बतलाया है। इन पाशुरों को कुछ इस व्यवस्थित ढंग व ऐसे भावों से युक्त … Read more