अष्ट श्लोकी – श्लोक 7 – 8- चरम श्लोक

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्ट श्लोकी << श्लोक 5 – 6 – द्वयमंत्र अंतिम 2 श्लोक, चरम श्लोक का वर्णन करते है, जो भगवान द्वारा कहा गया है । श्लोक 7 मत्प्राप्यर्थतया मयोक्तमखिलम संत्यज्य धर्मं पुन : मामेकं मदवाप्तये शरनमित्यार्तोवसायम कुरु । त्वामेवम व्यवसाययुक्तमखिलज्ञानादिपूर्णोह्यहं मत्प्राप्तिप्रतिबन्धकैर्विरहितम कुर्यां शुचं मा कृतः ।। अर्थ … Read more

अष्ट श्लोकी – श्लोक 5 – 6 – द्वयमंत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी << श्लोक 1- 4 – तिरुमंत्र श्लोक 5 नेतृत्वं नित्ययोगं समुचितगुणजातं तनुख्यापनम् च उपायं कर्तव्यभागं त्वत् मिथुनपरम् प्राप्यमेवम् प्रसिद्धं । स्वामित्वं प्रार्थनां च प्रबलतरविरोधिप्रहाणम दशैतान मंतारम त्रायते चेत्यधिगति निगम: षट्पदोयम् द्विखण्ड: ।। अर्थ यह श्लोक, मंत्रो में रत्न, द्वय महामंत्र का विवरण प्रदान करता है। द्वय … Read more

अष्ट श्लोकी – श्लोक 1 – 4 – तिरुमंत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी << तनियन नारायण ऋषि , नर ऋषि को तिरुमंत्र का उपदेश प्रदान करते हुए (दोनों ही श्रीमन्नारायण भगवान के अवतार है) श्लोक 1 अकारार्थो विष्णुः जगदुध्यरक्षा प्रळयकृत मकारार्थो जीव: तदुपकरणम् वैष्णवमिदम । उकारो अनन्यार्हम नियमयति संबंधमनयो: त्रयी सारस्त्रयात्मा प्रणव इमामर्थम् समधिष्ठ ।। अर्थ सृष्टी, स्थिति … Read more

अष्ट श्लोकी – तनियन

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: अष्टश्लोकी श्रीकुरेश स्वामीजी और श्रीपराशर भट्टर – श्रीरंगम श्री पराशर भट्टार्य श्रीरंगेश पुरोहित: । श्रीवत्सांग सुत : श्रीमान् श्रेयसे मेस्तु भुयसे ।। श्री रंगनाथ भगवान के पुरोहित और श्रीवत्सांग (श्रीकुरेश स्वामीजी) के पुत्र, श्रीपराशर भट्टर जो दिव्य गुण संपत्ति से परिपूर्ण है, वे मुझे श्रेय प्रदान … Read more

अष्ट श्लोकी

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: श्रीपराशर भट्टर रहस्य त्रय के गहरे अर्थों को प्रकाशित करने के लिए श्री पराशर भट्टर ने अत्यंत कृपापूर्वक अष्ट श्लोकी नामक स्तोत्रमाला की संस्कृत में रचना की। यह रहस्य त्रय को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करने वाला पहला प्रबंध है। न्याय वेदांत विद्वान् दामल वंकीपुरम श्री … Read more