ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ४०

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९  पाशुर ४०: अल्लि मलर पावैक्कन्बर अडिक्कन्बर सोल्लुम अविडु सुरुदियाम – नल्ल पड़ियाम मनु नूर कवर सरिदै पार्वै सेडियार विनैत तोगैक्कुत ती प्रस्तावना: “आचार्य भक्ति” और “भक्तों के भक्त” के विचार को पिछले कई पाशुरों में विस्तार से बताया … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३८                                                            ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ४० पाशुर-३९   अलगै मुलै सुवैत्तार्क्कु अंबर अडिक्कन्बर तिलदम एनत तिरिवार तम्मै – उलगर पलि तूट्रिल तुदियागुम तूटादवर इवरै पोट्रिल अदु पुन्मैये याम प्रस्तावना: पिछले पाशुर में आचार्य कि महिमा के बारे में विस्तार से … Read more

ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३८

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: ज्ञान सारं ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३७                                                             ज्ञान सारं – पासुर (श्लोक) ३९ पाशुर-३८ तेनार कमलत् तिरुमामगल कोलुनन ताने गुरुवागित तन अरूलाल – मानिडर्क्का इन्निलत्ते तो न्रु दलाल यार्क्कुम अवन तालिणैयै उन्नुवदे साल उरुम प्रस्तावना: “आचार्य कि कीर्ति और महत्व” का मनोभाव २६वें पाशुर (तप्पिल गुरू … Read more