उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४४ – ४५

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ४४ चौवालीसवां पासुर। मामुनि स्वामी जी नम्पिळ्ळै द्वारा आयोजित प्रवचनों से पांडुलिपि के रूप में व्याख्या लिखने की महिमा के बारे में बताते हैं। तॆळ्ळियदा नम्पिळ्ळै सॆप्पु नॆऱि तन्नैवळ्ळल् वडक्कुत् तिरुवीधिप् पिळ्ळै – इन्दनाडऱिय माऱन् मऱैप् पॊरुळै नन्गु … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ४१ – ४३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पाशुरम् ४१इकतालीसवां पाशुरम्। वे दयापूर्वक आऱायिरप्पडि (एक पडि में ३२ अक्षर होते हैं) व्याख्यानम् के बारे में बताते हैं, जिसे तिरुक्कुरुगैप्पिरान् पिळ्ळान् ने तिरुवाय्मॊऴि के लिए दयापूर्वक रचा था। तॆळ्ळारुम् ज्ञानत् तिरुक्कुरुगैप्पिरान्पिळ्ळान् ऎदिरासर् पेररुळाल् – उळ्ळारुम्अन्बुडने माऱन् मऱैप् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३८ – ४०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पूर्व अनुच्छेद पासुरम् ३८ अड़तीसवाँ पासुरम्। मामुनिगळ् ने दयालुतापूर्वक ऎम्पॆरुमानार् को नम्पेरुमाळ् द्वारा दिये गये महान सम्मान को प्रकट किया ताकि हर कोई जान सके कि ऎम्पॆरुमानार् ने कितनी अच्छी तरह प्रपत्ति (ऎम्पॆरुमान् के प्रति समर्पण) मार्ग अपनाया था, और … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३६ और ३७

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ३४ और ३५  पासुरम् ३६ छत्तीसवां पासुरम्। वे अपने हृदय से कहते हैं कि हमारे आचार्यों के अलावा और कोई नहीं है जो आऴ्वारों और उनके अरुळिच्चॆयल् की श्रेष्ठता को पूर्णतः जानते हों।  तॆरुळुट्र आऴ्वार्गळ् सीर्मै अऱिवार् आर्अरुळिच्चॆयलै अऱिवार् आर् – अरुळ् पॆट्र नादमुनि … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३४ और ३५ 

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः उपदेश रत्तिनमालै << पासुरम् ३१ – ३३ पासुरम् ३४  चौंतीसवां पासुरम्। मामुनिगळ् अब तक दयालुता पूर्वक उन नक्षत्रों और स्थलों के बारे में बताते रहे जहाँ आऴ्वार् अवतरित हुए। तीसरे पासुरम् में उन्होंने “ताऴ्वादुमिल् कुरवर् ताम् वाऴि- एऴ्पारुम्  उय्य अवर्गळ् उरैत्तवैगळ् ताम वाऴि” कहकर हमारे आचार्यों के … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३१ – ३३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुर २९ – ३० पासुरम् ३१ इक्कीसवां पासुरम्। वह दयालुतापूर्वक उन स्थानों का उल्लेख करते हैं जहाँ तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् और कुलशेखर आऴ्वार् अवतरित हुए।  तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् तोंऱिय ऊर् तोल् पुगऴ् सेर्मंडङ्गउडइ एन्बर् मण्णुलगिल्- एण् दिसैयुम्एत्तुम् कुलसेकरन् ऊर् एन उरैप्पर्वाय्त्त तिरुवञ्जिक्कळम् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २९ – ३०

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २७ – २८ पासुरम् २९ उनतीसवां पासुरम्। वे अपने हृदय से चित्तिरै तिरुवादिरै के इस महान दिवस की महिमा को निरंतर चिंतन करने को कहते हैं। एन्दै एतिरासर् इव्वुलगिल् एन्दमक्कावन्दुदित्त नाळ् एन्नुम् वासिनियाल् – इन्दत्तिरुवादिरै तन्निन् सीर्मै तने नेञ्जेओरुवामल् एप्पोऴुदुम् … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २७ – २८

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुरम् २५ -२६ पासुरम् २७ सत्ताईसवां पासुरम्। अगले तीन पासुरों में मामुनिगळ् एम्पेरुमानार्, जिनकी महानता आऴ्वारों की महानता के समान है और जो आऴ्वारों के सेवक और अन्य सभी के लिए स्वामी हैं, उनके दिव्य नक्षत्र की महिमा का आनंद लेते … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् २५ -२६

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २३ – २४ पासुरम् २५पच्चीसवां पासुरम्। मामुनिगळ् मधुरकवि की महिमा को दो पासुरों में प्रकट करते हैं। इस पासुर में वे अपने हृदय से कहते हैं कि, चित्तिरै (चैत्र) महीने के चित्तिरै (चित्रा) नक्षत्र‌के दिन, जब मधुरकवि आऴ्वार् का अवतार … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुर २३ – २४

।। श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः ।। उपदेश रत्तिनमालै <<पासुर २१ – २२ पासुरम् २३ तेईसवां पासुरम्। वे अपने हृदय को बताते हैं कि तिरुवाडिप्पूरम् (आडि महीने का दिव्य नक्षत्र पूरम्) की क्या महानता है, जो आण्डाळ् के अवतार का दिन है और इसलिए अतुल्य है।  पेरियाऴ्वार् पेण् पिळ्ळैयाय् आण्डाळ् … Read more