आर्ति प्रबंधं ३१
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नम: आर्ति प्रबंधं << पासुर ३० उपक्षेप पिछले पासुरं में मणवाळ मामुनि, एक से अधिक बार श्री रामानुज के मँगळं (श्रेय) गायें। हर एक को इस आदत की तरस/आर्ति होनी चाहिए। इस पासुरं में मणवाळ मामुनि , १) वेदों से भिन्न कई सिद्दांतों को रचने वालों और २) … Read more