रामानुस नूट्रन्ददि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – पाशुर 31 से 40
श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या << पाशुर 21 से 30 पाशूर ३१: श्रीरंगामृत स्वामीजी अपने हृदय को आनन्द से कहते हैं कि वों जो अन्गिनत जन्मों से कष्ट भोग रहे हैं श्रीरामानुज स्वामीजी कि कृपा से उनके शरण प्राप्त् हो गये हैं। आण्डुगळ् … Read more