रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या – तनियन

रामानुस नूट्रन्दादि (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नम: मुन्नै विनैयगल  मूंगिल्  कुडियमुदन्पोन्नम् कळर्क्कमलप्  पोदिरण्डुम्एन्नुडैय सेन्निक्कणियागच् चेर्तिनेन् तेन्पुलत्तार्क्कु एन्नुक् कडवुडैयेन् यान् दास कहते हैं, मैंने श्रीरंगामृत स्वामीजी (जिन्होंने मूंगिल कुड़ी  {श्रेष्ठ कुल} वंश में जन्म लिया) के स्वर्ण जैसे दिव्य और  वांछनीय चरण कमलों को अपने मस्तक पर … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर २१-३०

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १६ – २० इस पाशुर से देवी यह अनुभव करवा रही है कि , भगवान् कृष्ण के प्रेम में मग्नता के, आनंद का अनुभव प्राप्त करने, नप्पिन्नै  पिराट्टी भी देवी के व्रतनुष्ठान में सम्मिलित हो जाती है । इक्कीसवाँ पाशुर : इस … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्याख्या – पाशुर १६ से २०

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर ६ – १५ इस सोलहवे पाशुर  में देवी आन्डाळ् नित्यसुरियों के लौकिक प्रतिनिधियों, जैसे क्षेत्रपाल द्वारपाल, आदिशेष आदि… को जगा रही है। सोलहवाँ पाशुर: इस सोलहवे पाशुर में देवी नन्दगोप के महल और नन्दगोप के कमरे के द्वारपाल को जगा रही है। … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – पाशुर ६ – १५

।।श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः।। तिरुप्पावै << पाशुर १ से ५ अब पाशुर छः – से पन्द्रह तक, आण्डाळ् नाच्चियार् उन १० ग्वालिनों को जगाती है, जो गोकुल की सारी ५००००० ग्वालिनों का प्रतिनिधित्व करती हुयी बतलाया है। इन पाशुरों को कुछ इस व्यवस्थित ढंग व  ऐसे भावों से युक्त … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – पाशुर १ से ५

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः तिरुप्पावै << तनियन् पहला पाशुर: एम्पेरुमान और ग्वालिनों के गुणानुगान का समय : एम्पेरुमान उपाय और उपेय दोनों ही है, आण्डाळ् ने निश्चय कर लिया कि कृष्णानुभव के लिये, वह मार्गळि नोन्बु (( जो तमिल माह मार्गळि में रखे जाने वाली धार्मिक व्रतानुष्ठान)  … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या – तनियन्

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः तिरुप्पावै नीळा तुङ्ग स्तनगिरि तटीसुप्तम् उद्बोद्य कृश्णम् पारार्त्यम् स्वम् श्रुति शत शिरस् सिद्दम् अद्यापयन्ती स्वोच्चिश्टायाम् स्रजि निगळितम् या बलात् क्रुत्य भुन्ग्ते गोदा तस्यै नम इदम् इदम् भूय एवास्तु भूय:। भगवान श्रीकृष्ण ,नैप्पीनै पिराट्टि (जो भगवान श्रीमन् नारायण् की एक सहचरी नीळा देवी की … Read more

तिरुप्पावै – सरल व्यख्या

श्रीः  श्रीमते शठकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः मुदलायिरम् श्री मणवाळ मामुनिगळ् अपने उपदेश रत्त्नमालैः के २२ वे पाशुर में, बहुत ही सुन्दर ढंग से  देवी आण्डाळ् की महानता का वर्णन करते है। इन्ऱो तिरुवाडिप्पूरम् एमक्कागअन्ऱो इन्गु आण्डाळ् अवदरित्ताळ् – कुन्ऱादवाळ्वान वैगुन्द वान् बोगम् तन्नै इगळ्न्दुआळ्वार् तिरुमगळाराय् । क्या आज तिरुवाडिप्पूरम् … Read more

साट्रुमुरै (सात्तुमुरै ) – सरल व्याख्या

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: सर्व देश दशा कालेष्वव्याहत पराक्रमा | रामानुजार्य दिव्याज्ञा वर्धताम अभिवर्धताम || श्री भगवद रामानुज स्वामीजी के दिव्य आदेशों (विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त और श्रीवैष्णव संप्रदाय के सिद्धान्त) का उत्तम रूप में बिना किसी बाधा के सभी स्थानों और सभी समय में उन्नति हो। उनकी उन्नति हो।  रामानुजार्य … Read more

रामानुस नूट्रन्दादी (रामानुज नूत्तन्दादि) – सरल व्याख्या

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । इयर्पा श्रीवरवरमुनि स्वामीजी अपने उपदेश रत्नमालै के अड़तीसवें (३८) पासुर मे बड़ी सुन्दरता से श्रीरामानुज स्वामीजी केअनूठी श्रेष्ठता को दर्शाते कहतें हैं: एम्बेरुमानार् दरिसनम एन्ऱे इदर्कुनम्बेरुमाल् पेरिट्टटु नाट्टिवैत्तार् – अम्बुवियोर्इन्द दरिसनत्तै एम्बेरुमानार् वलर्त्तअन्दच्चेयलरिकैक्का श्रीरंगनाथ भगवान (श्रीरंगम में उत्सव मूर्ति) ने हमारे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय (भगवान विष्णु के … Read more

तिरुप्पळ्ळियेळुच्चि- सरल व्यख्या

श्रीः  श्रीमते शठःकोपाय  नमः   श्रीमते रामानुजाय  नमः   श्रीमत् वरवरमुनये नमः मुदलायिरम् श्री मणवाळ मामुनिगळ् अपनी उपदेश रत्नमालै के ११ वे पाशुर में तोण्डरडिप्पोडि आळ्वार् (भक्तांघ्रिरेणू आळ्वार्) के बारे मैं बहुत ही सुन्दर ढंग से बतला रहे है । “मन्निय सीर् मार्गळियिल् केटै इन्ऱु मानिलत्तीर् एन्निदन्क्कु एट्रम् एनिल् उरैक्केन् – तुन्नु पुगळ् मामऱैयोन् तोण्डरडिप्पोडि … Read more