amalanAdhipirAn

SrI:  SrImathE SatakOpAya nama:  SrImathE rAmAnujAya nama:  SrImath varavaramunayE nama: Audio e-book: thiruppANAzhwAr’s vaibhavam thiruppANAzhwAr’s avathAram took place at uRaiyUr as an incarnation of SrIvathsam- the divine mole on the chest of SrIman nArAyana, in the star of rOhiNi in the month of kArthikai. The ARAyirappadi guruparamparA prabhAvam records this as below: SrI lOkasAranga mahAmunIndhra skandhAdhirUdam … Read more

नाच्चियार् तिरुमोऴि – सरल व्याख्या – छठवां तिरुमोऴि – वारणम् आयिरम्

 श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि <<मन्नु पेरुम् पुगऴ् आण्डाळ् ने कोयल से विनती की थी कि वह उसे भगवान से मिला दे। ऐसा न होने से वह बहुत व्यथित थी। दूसरी ओर, एम्पेरुमान् उसके प्रति अपना प्यार बढ़ाने और बाद में आने का प्रतीक्षा कर रहा था। भले ही उन्होंने आरंभ … Read more

नाच्चियार् तिरुमोऴि – सरल् व्याख्या पाँचवा तिरुमोऴि – मन्नु पेरुम् पुगऴ्

श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि <<चौथा तिरुमोऴि आण्डाळ् कूडल् में संलग्न होने के बाद भी एम्पेरुमान् के साथ एकजुट नहीं हो पाई, तो वह उस कोयल पक्षी को देखती है जो पहले उसके साथ थी जब वह एम्पेरुमान् के साथ एकजुट हुई थी। वह कोयल‌ उसकी बातों का उत्तर दे सकता … Read more

नाच्चियार् तिरुमोऴि – सरल व्याख्या​ – चौथा तिरुमोऴि – तेळ्ळियार् पलर्

श्रीः श्रीमतेशठकोपाय नमः श्रीमतेरामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः नाच्चियार् तिरुमोऴि <<तीसरा तिरुमोऴि  एम्पेरुमान् गोपकुमारियों के वस्त्रों को लेकर कुरुंधम् पेड़ पर चढ़ गए। गोपकुमारियों ने उससे प्रार्थना की और उसकी निन्दा की, और किसी तरह अपने वस्त्रों को वापस पा लिया। एम्पेरुमान् और गोपकुमारियाँ का मिलन हुआ और आनंद लिया। लेकिन इस संसार में कोई भी … Read more

उपदेश रत्तिनमालै – सरल व्याख्या – पासुरम् ३१ – ३३

। ।श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमत् वरवरमुनये नमः। । उपदेश रत्तिनमालै << पासुर २९ – ३० पासुरम् ३१ इक्कीसवां पासुरम्। वह दयालुतापूर्वक उन स्थानों का उल्लेख करते हैं जहाँ तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् और कुलशेखर आऴ्वार् अवतरित हुए।  तोंडरडिप्पोडि आऴ्वार् तोंऱिय ऊर् तोल् पुगऴ् सेर्मंडङ्गउडइ एन्बर् मण्णुलगिल्- एण् दिसैयुम्एत्तुम् कुलसेकरन् ऊर् एन उरैप्पर्वाय्त्त तिरुवञ्जिक्कळम् … Read more

सप्त गाथा – पासुरम् ७

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा – पासुरम् ६ परिचय विळाञ्जोलैप् पिळ्ळै से पूछा गया, “आपने कई प्रकार से कहा कि जिन लोगों में अपने आचार्य के प्रति श्रद्धा की कमी है, वे बहुत नीचे गिर जाएंगे और उनके पास मुक्ति की कोई संभावना नहीं होगी। अब हमें … Read more

सप्त गाथा – पासुरम् ६

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा – पासुरम् ५ परिचय विळाञ्जोलैप् पिळ्ळै अवलोकन कर रहे हैं  कि पेरिय पेरुमाळ् दयापूर्वक कह ​​रहे हैं, “यद्यपि संसारियों (सांसारिक जन) के बीच विद्यमान हैं जो पूर्णत: इन चार दृष्टिकोण में व्यस्त हैं (आचार्य के प्रति प्रेम नहीं रखते, स्वयं से … Read more

सप्त गाथा – पासुरम् ५

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा – पासुरम् ४ परिचय विळाञ्जोलैप् पिळ्ळै कह रहे हैं “जिस प्रकार निर्देश प्राप्त करने वाले शिष्य में अपने आचार्य के प्रति आस्था की कमी होने पर उसका स्वभाव नष्ट हो जाता है, उसी तरह निर्देश देने वाले आचार्य का भी स्वभाव … Read more

सप्त गाथा – पासुरम् ४

श्री: श्रीमते शठकोप नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद् वरवर मुनये नम: शृंखला <<सप्त गाथा – पासुरम् ३ परिचय चौथा पासुरम्। तत्पश्चात्, विळाञ्जोलैप् पिळ्ळै कृपापूर्वक सिंहावलोकन न्यायम् के अनुसार दूसरे पाशुर का पुनरावलोकन कर रहे हैं (पूर्व में समझाए गए विषय पर फिर से विचार करने का नियम जैसे एक घूमता हुआ सिंह‌ मुड़कर जिस रास्ते … Read more

सप्त गाथा पासुरम् ३

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमते वरवरमुनये नम: शृंखला <<सप्त कादै – पासुरम् २ परिचय यह पूछे जाने पर कि “यद्यपि एक व्यक्ति में अपने आचार्य के प्रति प्रेम की कमी है, आचार्य के निर्देशों के कारण, उसने शास्त्र का सार सीखा है जैसे कि अर्थ पंचकम आदि। उन शास्त्रों को विस्तार से सीखना … Read more